अनशन पर बैठीं मेधा पाटकर की हालत बिगड़ी, सीपीआई नेता का पीएम को खत
गुजरात में निर्मित सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के उचित पुनर्वास और बांध के गेट खोलने की मांग को लेकर पिछले आठ दिनों से सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठी हुई है.
‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ की नेता मेधा पाटकर की तबीयत बिगड़ने का हवाला देते हुए भाकपा के राज्यसभा सदस्य बिनय विस्वम ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है.
विस्वम ने पत्र में कहा है कि पाटकर के साथ आंदोलनरत हजारों ग्रामीणों की सेहत में लगातार गिरावट के कारण उपजे हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री को इस मामले में तत्काल दखल देना चाहिए.
उन्होंने कहा कि सरदार सरोवर बांध से जल निकासी बंद करने के गुजरात सरकार के फैसले के कारण मध्य प्रदेश के बड़वानी सहित आसपास के 192 गांवों में जलस्तर लगातार बढ़ रहा है.
गुजरात सरकार के इस फैसले के विरोध में पाटकर स्थानीय ग्रामीणों के साथ आंदोलन कर रही हैं. विस्वम ने कहा कि नर्मदा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण प्रभावित इलाकों के लगभग 32 हजार परिवारों पर अस्तित्व का संकट मंडरा रहा है.
उन्होंने कहा, “विकास लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए, ना कि उनका जीवन अस्थिर करने के लिए. इसके मद्देनजर ही पाटकर पिछले आठ दिन से भूख हड़ताल पर हैं. उनकी सेहत दिन प्रतिदिन बिगड़ रही है. पाटकर का जीवन उन सभी भारतीयों के लिए मूल्यवान है जो पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के वास्तविक पैरोकार हैं.”
विस्वम ने प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुए कहा कि गुजरात सरकार को अपना फैसला वापस लेना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि पाटकर बड़वानी में जिस स्थान पर सत्याग्रह कर रहीं हैं, वह इलाका भी जलमग्न हो रहा है, जिसके चलते जिला प्रशासन उनसे आंदोलन खत्म करने के लिए कह रहा है.
मेधा ने गत 25 अगस्त को बड़वानी से लगभग 25 किलोमीटर दूर छोटा बड़दा गांव में पांच महिलाओं के साथ अनिश्चितकालीन ‘सत्याग्रह’ आंदोलन शुरू किया है. यह गांव सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर के जलमग्न क्षेत्र में पड़ता है.