सीपीआई(एमएल) को पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े सरकारी सभागार में कॉन्फ्रेंस करने की अनुमति मिली


CPI (ML) got permission for confrence in West Bengal's largest government auditorium

 

बीजेपी को पश्चिम बंगाल में रैली करने से रोकने वाली ममता बनर्जी सरकार ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (एमएल) (लिबरेशन) को राज्य में सम्मेलन करने की अनुमति दी है. यह सम्मेलन 12,000 लोगों की क्षमता वाले राज्य के सबसे बड़े सरकारी सभागार ‘नेताजी इंडोर स्टेडियम’ में 30 जुलाई को होना है. ‘संगति इबोंग प्रोतिरोध’ यानी एकजुटता और प्रतिरोध नाम के इस सम्मेलन का एजेंडा पश्चिम बंगाल में बीजेपी के बढ़ते जनाधार की वजह को समझने के लिए रणनीति बनाना है.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(एमएल) से अलग होकर बनी सीपीआई(एमएल) लिबेरेशन 1992 में अस्तित्व में आई थी. माओ समर्थक सीपीआई(एमएल) की स्थापना कोलकाता में 1969 में हुई थी.

सीपीआई(एमएल) लिबरेशन के राज्य सचिव कार्तिक पाल ने कहा, “बीजेपी ने बंगाल की विरासत और संस्कृति पर हमला करना शुरू कर दिया है. मोदी सरकार पहले ही जनविरोधी नीतियों को लागू करना शुरू कर चुकी है. अब हमारा मुख्य एजेंडा पश्चिम बंगाल में संघ परिवार की बढ़त को देखना है. हम प्रभावशाली रणनीति बनाने के लिए विचार करेंगे.”

अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक प्रस्तावित सम्मेलन में पश्चिम बंगाल सहित दूसरे राज्यों से छात्र, शिक्षक, किसान, औद्योगिक श्रमिक, सांस्कृतिक कार्यकर्ता और आदिवासी नेता भाग लेंगे.

पाल ने कहा कि राजनीतिक विश्लेषकों ने पाया है कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(मर्क्सवादी) ने बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस को एक साथ रखकर बड़ी भूल की है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि बीजेपी वो मुख्य ताकत है जिसे रोके जाने की सख्त जरूरत है.

सीपीआई(एमएल) (लिबरेशन) ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन(एनआरसी) के खिलाफ अभियान चला रहे संगठन को भी कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया है. गृह मंत्री अमित शाह कई बार असम की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में भी घुसपैठियों को चिह्नित करने और उन्हें बाहर करने के लिए नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन(एनआरसी) लाने की बात कह चुके हैं.

बीजेपी के राज्य सचिव राजू बनर्जी ने कहा कि प्रशासन के इस निर्णय से उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ है ‘नक्सल संगठन’ का यह सम्मेलन तृणमूल कांग्रेस को निश्चित रूप से छुपा समर्थन देने की कोशिश है. उनका एजेंडा एक जैसा है. ममता बनर्जी माओवादियों के समर्थन से सत्ता में आई थीं और उनकी पार्टी ने धुर वामपंथी और राष्ट्र विरोधी ताकतों से मेलजोल को जारी रखा है, इसका यह एक और सबूत है.

सितंबर 2017 में सरकार ने नेताजी इंडोर स्टेडियम में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की बैठक करने की अनुमति नहीं दी थी. तब प्रशासन की ओर से कहा गया था कि स्टेडियम पहले से ही बुक है. अक्टूबर, 2016 में आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत के कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था.


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