नई शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित तीन भाषा फॉर्मूले पर सीपीएम का विरोध


sitaram yechury criticises central government for decreasing corporate tax

 

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने नई शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित तीन भाषा फॉर्मूले को थोपे जाने का कड़ा विरोध किया है.

सीपीएम ने कहा है कि वो किसी भाषा विशेष की विरोधी नहीं है लेकिन चाहती है कि सभी भारतीय भाषाओं के विकसित होने और उनके फलने-फूलने का अवसर मुहैया हो.

पार्टी का कहना है कि इस तरह के कदम से भाषाई वर्चस्ववाद का एहसास बढ़ता है और यह हमारे देश की एकता के लिए खतरनाक है. पार्टी ने सिविल सोसायटी के लोगों से इस मसौदे का विरोध करने का आह्वान किया है.

हालांकि सरकार ने विरोध तेज होने के बाद यह स्पष्ट किया है कि स्कूलों में तीन भाषा फॉर्मूले को किसी भी प्रदेश में थोपा नहीं जाएगा.

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने स्पष्ट किया है कि सरकार अपनी नीति के तहत सभी भारतीय भाषाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और किसी प्रदेश पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी.

पिछले दिनों नई शिक्षा नीति को लेकर डॉक्टर के कस्तुरीरंगन कमेटी ने मानव संसाधन मंत्रालय को 500 पृष्ठ का मसौदा सौंपा था.

मसौदे में गैर हिन्दी भाषी राज्यों के लिए तीन भाषाएं सिखाने की सिफारिश की गई है. इनमें हिन्दी, अंग्रेजी और कोई एक क्षेत्रीय भाषा शामिल है. जबकि हिन्दी भाषी राज्यों के लिए अंग्रेजी, हिन्दी और एक आधुनिक भाषा की सिफारिश की गई है.

इस मसौदे को लेकर गैर-हिंदी प्रदेशों खासकर दक्षिण के राज्यों में तेज विरोध हो रहा है. दक्षिण में बीजेपी के सहयोगी दल भी इस मसौदे का विरोध कर रहे हैं.


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