अर्थव्यवस्था के आंकड़ें जारी करने वाले CSO, NSSO के विलय की तैयारी में सरकार
केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा
सरकार देश की अधिकारिक सांख्यिकी प्रणाली में बड़ा परिवर्तन करने जा रही है. खबरों के मुताबिक सरकार आंकड़ें जारी करने वाली दो प्रमुख संस्था केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) और नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) को एक साथ मिलाकर नई संस्था बनाने जा रही है. विलय के बाद नई संस्था सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के आधीन काम करेगी.
द मिंट की खबर के मुताबिक, इस नई संस्था का नाम राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) होगा, जिसकी अध्यक्षता एमओएसपीआई के सचिव करेंगे.
एमओएसपीआई की ओर से 23 मई को जारी किए गए बयान से पता चलता है कि फैसला को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने मंजूरी दे दी है.
एमओएसपीआई एक अधिकारी ने बताया, “दोनों संस्थानों को एक साथ लाने का फैसला साल 2005 में ही ले लिया गया था. लेकिन अब तक इसे अमल में नहीं लाया गया था. अब आदर्श आचार संहिता के खत्म होते हैं ही मंत्रालय ने तेजी दिखाते हुए ये कदम उठाया है.”
विलय के बाद एमओएसपीआई के तीनों महानिदेशक को नए सिरे से काम सौंपे गए हैं. फिलहाल ये अर्थिक सांख्यिकी, सामाजिक सांख्यिकी और सर्वे के डीजी पद पर कार्यरत हैं. नई जिम्मेदारियों के तहत तीनों डीजी सांख्यिकी, राष्ट्रीय सैंपल सर्वे के साथ ही प्रशासनिक और नीतिगत कार्य संभालेंगे.
कुछ समय पहले पिछली सीरीज के आंकड़ों के आधार पर नीति आयोग ने रिपोर्ट में दावा किया था कि नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले चार सालों में (2014-18) अर्थव्यवस्था औसतन 7.35 फीसदी की तेजी से आगे बढ़ी है. जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनोहन सिंह के कार्यकाल में (2005-14) अर्थव्यवस्था औसतन 6.67 फीसदी की तेजी से आगे बढ़ी थी.
हालांकि रिपोर्ट पर यह कहते हुए सवाल उठाए गए कि आंकड़ें सीएसओ की जगह नीति आयोग ने क्यों जारी किए. साथ ही जानकारों का आरोप है कि जीडीपी सीरीज में करेंट बेस ईयर 2011-12 लेने के कारण राष्ट्रीय आय बढ़ा-चढ़ाकर की पेश की गई.
बीते साल दिसंबर में राष्ट्रीय सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) के रोजगार सर्वे को पांच दिसंबर को कोलकाता में हुई बैठक में मंजूर किया गया था. इस सर्वे को सांख्यिकी और कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी किया जाना था. लेकिन सरकार इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने से बचती दिखी, जिसके बाद संस्थान के कार्यवाहक अध्यक्ष पीसी मोहनन और संस्थान की गैर-सरकारी सदस्य जेवी मीनाक्षी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
दरअसल इस रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ था कि देश में साल 2017-18 में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल में सबसे ज्यादा थी.