दलित महिलाओं ने कहा, बीजेपी के लोगों ने हमारे वोट छीने


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पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था. इसमें एक व्यक्ति अन्य मतदाताओं के वोट डालने के दौरान ईवीएम में कुछ करता हुआ नजर आ रहा था. कहा जा रहा था कि इस व्यक्ति ने किसी पार्टी विशेष के लिए वोटर की इच्छा के बिना उनके वोट लिए.

इसके बाद साफ हुआ कि ये हरियाणा के फरीदाबाद की घटना है. चुनाव आयोग की जांच के बाद उस व्यक्ति को हिरासत में ले लिया गया था. व्यक्ति मतदान केंद्र पर पोलिंग एजेंट के रूप में मौजूद था. हालांकि वह किस पार्टी के लिए काम कर था इस बात का खुलासा नहीं किया गया था.

अब इंडियन एक्सप्रेस ने उन महिलाओं से बात की जो उस वीडियो में दिख रहीं हैं. इनमें से एक हैं, 23 वर्षीय विवेचना. विवेचना असौती गांव में रहती हैं और दलित समुदाय से ताल्लुक रखती हैं.

विवेचना कहती हैं कि वो अपनी बारी आने के लिए बूथ संख्या 88 पर करीब एक घंटे लाइन में खड़ी रहीं. इसके बाद जब उनकी बारी आई तो वे ईवीएम पर हाथी का निशान खोज रहीं थीं. इस दौरान बीजेपी का बूथ एजेंट गिरिराज सिंह आ गया और उसने सीधे कमल के निशान वाला बटन दबा दिया.

इसके बाद विवेचना ने विरोध भी किया. वे कहती हैं, “मैं हैरान रह गई, मैंने उससे पूछा कि उसने मेरी वोट क्यों ली, तो उसने कहा कि अब वोट पड़ चुकी है और अपनी कुर्सी पर बैठ गया. मैंने बीएसपी का बटन दबाने की कोशिश भी की, लेकिन वोट पड़ चुकी थी.”

गिरिराज सिंह की गिरफ्तारी के बाद एक और वीडियो सामने आया जिसमें एक अन्य व्यक्ति मतदाताओं को गलत तरीके से प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. इसके बाद चुनाव आयोग ने बूथ के मुख्य पीठासीन अधिकारी को बर्खास्त कर दिया था. यहां 19 मई यानी आखिरी चरण में दोबारा मतदान कराया जाएगा.

शोभा एक अन्य महिला हैं जो इस वीडियो में दिख रही हैं. शोभा भी दलित समुदाय से आती हैं. उन्होंने बताया कि वोट डालने के दौरान उन्हें भी गलत तरीके से प्रभावित करने की कोशिश की गई.

शोभा कहती हैं, “मैं करीब साढ़े दस बजे वोट डालने गई थी. जब मैं बूथ में पहुंची तो गिरिराज मेरे पास आया और कमल के बटन की ओर इशारा करने लगा. मैंने उसे साफ कह दिया कि वो कौन होता है मुझे किसी को वोट देने के लिए कहने वाला, मैं उसे वोट दूंगी जिसे मुझे देना हैं. इसके बाद मैंने हाथी का बटन दबाया और बाहर चली आई. बाद में मुझे पता चला कि उसने दूसरे लोगों के साथ भी ऐसा ही किया हैं.”

एक तीसरी महिला विद्या के साथ भी ऐसा ही किया गया. वो कहती हैं, उनकी वोट जबरदस्ती छीन ली गई, ऐसा गांव जहां राजपूतों की अधिकता है वहां पहले से ही उनके समुदाय पर राजनीतिक दबाव रहता है.

विद्या ने कहा, “बीते कई सालों से हम सब बीएसपी के लिए वोट कर रहे हैं और ये सब जानते हैं. दबाव तो हमेशा से रहता है, लेकिन इस तरह की चीजें पहले कभी नहीं हुई थीं. बूथ पर मौजूद लोग जानते थे कि हम किसे वोट डालेंगे इसलिए उन्होंने हमें निशाना बनाया. उन्होंने मेरी ननद के साथ भी ऐसा ही किया.”

लेकिन विद्या ने बताया कि उसके मामले में जबरदस्ती वोट लेने वाला व्यक्ति गिरिराज सिंह नहीं था. बल्कि विजय रावत था. जिसके बारे में बताया जा रहा है कि वो युवा राजपुताना संगठन का प्रमुख है और बीजेपी से जुड़ा है.

विद्या ने खुलकर अपनी चिंताओं को जाहिर किया. उन्होंने कहा, “चुनाव ही एकमात्र मौका होता है जब अपना भविष्य चुनते हैं. ये हमसे नहीं छीना जाना चाहिए. इस तरह की चीजें बहुत जगह होती हैं. लेकिन इत्तेफाक से यहां कैमरे में रिकॉर्ड हो गया और लोग पकड़े गए. न्याय भी हुआ. हम रविवार को फिर से वोट डालने जरूर जाएंगे.”


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