नदियों के बहाव में रुकावट जैव विविधता को कर रही प्रभावित


Dams and Reservoirs affecting free flowing waters says study

 

वैज्ञानिकों की एक वैश्विक टीम ने पाया है कि विश्व की 242 लंबी नदियों में से सिर्फ एक तिहाई नदियां ही बिना किसी रुकावट के मुक्त रूप से बह रहीं हैं. ये नदियां मुक्त रूप से एक हजार किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय करती हैं.

बाकी बची नदियों को बहने के रास्ते में बांधों और जलाशयों से रुकावट का सामना करना पड़ता है. यह जैव विविधता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है.

यह अध्ययन बीते बुधवार को प्रतिष्ठित पत्रिका “नेचर” में प्रकाशित हुआ है. यह अध्ययन अलग-अलग देशों के 34 शोधकर्ताओं ने किया है, जिसमें भारत भी शामिल है. यह शोध कनाडा के मेकगिल विश्वविद्यालय के गुएंथर ग्रिल और बर्नहार्ड लेहनेर के नेतृत्व में किया गया था.

ज्यादातर मुक्त बहने वाली नदियां आर्कटिक, अमेज़ॅन और कांगो बेसिन जैसे क्षेत्रों तक ही सीमित हैं.

अध्ययन बताता है कि अब सिर्फ 23 फीसदी मुक्त बहने वाली नदियां ही महासागर से मिलती हैं. इससे यह संकेत मिलता है कि किस हद तक समुद्री वातावरण में भूमि से आने वाले पोषक तत्वों और अवसादों की कमी है.

मुक्त बहने वाली नदियां जैव विविधता में सबसे ज्यादा योगदान करती हैं. इन नदियों से लाखों लोगों को ताजा पानी, खेतों की सिंचाई, मछली पालन और जल विद्युत के लिए पानी उपलब्ध होता है.

बीते कुछ वर्षों में नदियों की प्राकृतिक संरचना में कई बदलाव आए हैं. इसकी मुख्य वजह अवसंरचनात्मक विकास, बांधों और तटबंध आदि का निर्माण है. अध्ययन में पाया गया है कि विश्व भर में लगभग 60 हजार विशाल बांध है और लगभग 3 हजार 700 नए जलविद्युत बांधों का निर्माण हो रहा है.

ज्यादातर बांध और जलविद्युत बांधों का निर्माण एक परियोजना के स्तर पर होता है जिससे पूरे क्षेत्र पर पड़ने वाला वास्तविक प्रभाव का आंकलन करना मुश्किल हो जाता है. वैज्ञानिकों को डर है कि आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन नदियों की सेहत को और खराब करेगा.


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