मोदी राज में गंगा नदी का प्रदूषण खतरनाक स्तर पर


Dangerous increase in pollution of river Ganges in three years

 

मोदी सरकार द्वारा लांच किए गए ‘नमामि गंगे’ प्रोजेक्ट के बावजूद गंगा नदी में प्रदूषण तेजी से बढ़ा है. संकट मोचन फाउंडेशन (एसएमएफ) की ओर से किए गए विश्लेषण में यह बात सामने आई है. यह संस्था अपनी प्रयोगशाला में गंगा नदी में प्रदूषण स्तर की जांच करती है.

वाराणसी स्थित संस्था एसएमएफ के मुताबिक, गंगा नदी में कोलीफार्म बैक्टीरिया और बायोकैमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) में खतरनाक वृद्धि हुई है. जल की गुणवत्ता मापने के लिए इन मापकों का इस्तेमाल होता है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मई 2015 को 20,000 करोड़ रुपये का नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लांच किया था. उस समय साल 2015 के अंत तक गंगा नदी को स्वच्छ और पुर्नजीवित करने का लक्ष्य रखा गया था. साल 2018 में केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मार्च 2020 तक नमामि गंगे की डेडलाइन को बढ़ा दिया था.

एसएमएफ साल 1986 से गंगा सफाई की निगरानी कर रही है. साल 1986 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी गंगा सफाई को लेकर गंगा एक्शन प्लान लाए थे.

संस्था ने यह सैम्पल वाराणसी के तुलसी घाट से लिया था. जांच में पता चला कि गंगा नदी में बैक्टीरिया की संख्या तय मानक से  काफी अधिक है. यह स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है.

नहाने के लिए इस्तेमाल होने वाले जल में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा 100 मिलीलीटर जल में 500 एमपीएन से अधिक नहीं होना चाहिए. वहीं, पेयजल में कोलिफार्म बैक्टीरिया की मात्रा 100 मिलीलीटर जल में 50 एमपीएन से अधिक नहीं होना चाहिए.  एमपीएन से पता चलता है कि लिए गए पानी के सैम्पल में अति सूक्ष्म जीवाणु कितना फैले हुए हैं.

इसके साथ-साथ बीओडी की मात्रा एक लीटर जल में तीन एमजी से अधिक होना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है.

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, जनवरी 2016 में मल कोलीफार्म की संख्या धारा के अनुकूल 4.5 लाख और धारा के प्रतिकूल 5.2 करोड़ थी.

लेकिन फरवरी 2019 में इस बैक्टीरिया की संख्या बढ़कर धारा के अनुकूल 3.8 करोड़ और धारा के प्रतिकूल 14.4 करोड़ हो गई है.

इसी तरह बीडीओ के स्तर में भी बेतहाशा वृद्धि दर्ज की गई है. जनवरी 2016 में बीडीओ का स्तर 46.8 एमजी प्रति लीटर था, लेकिन फरवरी 2019 में यह बढ़कर 66 एमजी प्रति लीटर हो गया है.

इस दौरान गंगा जल में ऑक्सीजन की मात्रा घटी है. यह 2.4 एमजी प्रति लीटर से घटकर 1.4 एमजी प्रति लीटर रह गई है. सामान्य तौर पर इसे छह एमजी प्रति लीटर होना चाहिए.

एसएमएफ के अध्यक्ष और आईआईटी बीएचयू के प्रोफेसर वीएन मिश्र कहते हैं कि गंगा जल में कोलीफार्म बैक्टीरिया की संख्या बढ़ना मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.

मल संबंधी कोलीफार्म गर्म खून वाले जानवरों के आंत और मल में पाया जाता है. स्वास्थ्य के लिए खतरनाक ई कोली कोलीफॉर्म बैक्टेरिया की एक प्रजाति है.


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