डेटा संरक्षण विधेयक से नागरिकों की निजता को खतरा


Data protection bill threatens citizens' privacy: USIBC, IAMAI

 

विभिन्न उद्योग संगठनों ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक के विभिन्न प्रावधानों पर चिंता जताई है.

अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) तथा मोबाइल कंपनियों के संगठन इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर चिंता जताते हुए कहा है कि ये प्रावधान भारतीय नागरिकों की निजता को चोट पहुंचाने वाले हैं और इससे कंपनियों के समक्ष चुनौतियां पैदा होंगी.

व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को 11 दिसंबर को लोकसभा में पेश किया गया. विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने विधेयक को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त प्रवर समिति को भेजने का प्रस्ताव किया है.

आईएएमएआई ने कहा कि मौजूदा स्वरूप में यह विधेयक भारतीय नागरिकों की निजता से समझौता करता है. इसमें नागरिकों की व्यक्तिगत सूचना तक पहुंच के मामले में सरकारी एजेंसियों को कुछ ज्यादा ही छूट दी गई है.

विधेयक में हालांकि, यह प्रस्ताव है कि किसी भी व्यक्तिगत आंकड़े को उसके मालिक की सहमति के बिना प्रसंस्कृत नहीं किया जा सकेगा. सिर्फ स्पष्ट और कानूनी उद्देश्य से ही किसी व्यक्तिगत डेटा का प्रसंस्करण करने की अनुमति होगी.

लेकिन, विधेयक का एक अन्य प्रावधान किसी भी सरकारी एजेंसी को इन विधानों से छूट देता है. विशेषज्ञों का कहना है कि इससे सरकारी एजेंसियों को नागरिकों का डेटा जुटाने के लिए खुली छूट मिल जाएगी.

यूएसआईबीसी ने कहा कि इस विधेयक में कई नए प्रावधान हैं जो कि डेटा निजता के मुख्य मुद्दे से बाहर के हैं. यह निजी क्षेत्र के लिए गंभीर चिंता पैदा करने वाला है.


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