महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर गतिरोध जारी, शिवसेना ने बीजेपी को 15 दिनों का वक्त दिया
महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर गतिरोध जारी है. मुख्यमंत्री का पद चाह रही शिवसेना अपना रुख कभी कड़ा कर रही है तो कभी उसमें नरमी दिखा रही है जबकि उसकी सहयोगी बीजेपी इंतजार करो की नीति अपना रही है.
सहयोगी दलों बीजेपी और शिवसेना ने 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में पर्याप्त बहुमत हासिल किया था लेकिन दोनों के बीच सत्ता बंटवारे को लेकर औपचारिक बातचीत शुरू नहीं हुई है.
दूसरी ओर राकांपा ने कहा कि उसके प्रमुख शरद पवार चार नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. वहीं महाराष्ट्र से कांग्रेस के एक सांसद ने सुझाव दिया कि उनकी पार्टी सरकार बनाने के लिए शिवसेना का समर्थन करे.
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने पार्टी नेताओं वी सतीश और विजय पुराणिक के साथ बैठक की.
बाद में जब पाटिल से यह पूछा गया कि क्या कोई हल दिखाई दे रहा है, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने सरकार गठन को लेकर वर्तमान के गतिरोध समाप्ति के लिए कोल्हापुर की देवी अम्बाबाई से प्रार्थना की है.
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक सम्पादकीय में बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार पर उनके इस बयान को लेकर निशाना साधा गया कि यदि सरकार नहीं बनी तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है. सम्पादकीय में इसे एक धमकी बताया गया.
मुनगंटीवार ने कहा कि वह केवल वही कहे रहे हैं जिसका प्रावधान तय समय में सरकार नहीं होने की दशा में संविधान में है.
उन्होंने कहा, ”मैं वन मंत्री हूं. यदि बाघ (शिवसेना का प्रतीक चिह्न) अनावश्यक गुर्रा रहा है और हमें पता है कि उसका संरक्षण कैसे करना है. हम बाघ को साथ लेकर चलेंगे.”
मुनगंटीवार ने यह भरोसा भी जताया कि राज्य में 10 नवम्बर से पहले नई सरकार बन जाएगी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि शपथग्रहण छह या सात नवम्बर को होगा.
शिवसेना नेता एवं ‘सामना’ के कार्यकारी सम्पादक संजय राउत ने कहा कि सरकार बनाना बीजेपी का अधिकार है क्योंकि वह अकेली सबसे बड़ी पार्टी है.
उन्होंने कहा, ”उसे बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन लेने दीजिये. यदि वह बहुमत साबित नहीं कर पाती है तो शिवसेना अपना बहुमत साबित करेगी.”
राउत ने कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा उससे इनकार किए जाने से ठेस लगी थी जिस पर ”दोनों सहयोगी दलों के बीच पहले ही सहमति बन चुकी है.”
उन्होंने कहा, ”हम जो भी मांग कर रहे हैं उस पर उनके द्वारा सहमति जताई गई थी.”
राउत ने कहा कि वह बीजेपी थी जिसने गठबंधन के लिए कहा था. ”हमारे अंदर संदेह थे. यद्यपि हमने सोचा कि हमें उन्हें एक मौका देना चाहिए. अब हम कह रहे हैं कि बीजेपी को अपने वादे का सम्मान करना चाहिए. उसे स्वीकार करिये जिस पर सहमति बनी थी.”
राउत ने साथ ही कांग्रेस नेता एवं राज्यसभा सदस्य हुसैन दलवई द्वारा कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को वर्तमान स्थिति के बारे में लिखे गए पत्र का स्वागत किया. मुस्लिम नेता दलवई ने लिखा कि पार्टी को शिवसेना का समर्थन करना चाहिए.
दलवई ने अपने पत्र का उल्लेख करते हुए संवाददाताओं से कहा, ”शिवसेना और बीजेपी में अंतर है. शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के लिए प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था. बीजेपी के उलट शिवसेना की राजनीति समावेशी बन गई है. बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए शिवसेना का समर्थन करना चाहिए.”
उन्होंने कहा कि राज्य में मुस्लिमों का एक बड़ा वर्ग बीजेपी के मुकाबले शिवसेना को तरजीह देगा.
प्रदेश के कुछ और कांग्रेस नेता पहले ही बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए शिवसेना का समर्थन करने की बात कर चुके हैं.
यद्यपि राउत ने साथ ही यह भी कहा कि शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और वह अंत तक ”गठबंधन धर्म” का पालन करेगी.
राकांपा के मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि यदि शिवसेना ”भाजपा के बिना” सरकार बनाने को तैयार हो तो राकांपा ”निश्चित रूप से एक सकारात्मक रुख अपनाएगी.”