रेपो रेट में कटौती के बाद भी घटी कंपनियों की लोन चुकाने की क्षमता


npa ratio of banks may increase to ten percent in september says reserve bank

 

रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों की कटौती के बावजूद भारतीय कंपनियों की ब्याज चुकाने की क्षमता घटी है. यह बात मिंट के विश्लेषण में सामने आई है.

इंटरेस्ट कवरेज रेशियो (आईसीआर) से किसी कंपनी द्वारा लिए गए ऋण पर ब्याज चुकाने की क्षमता मापी जाती है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आईसीआर पिछली 13 तिमाहियों के सबसे निचले स्तर पर है.

मिंट के विश्लेषण में सामने आया है कि बीएसई 500 इंडेक्स पर 335 कंपनियों का आईसीआर पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में 3.33 के मुकाबले चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 3.3 तक गिरा है. वहीं पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 4.21 था. इन 335 कंपनियों में बैंकिंग, वित्तीय, तेल और गैस क्षेत्र की कंपनियां शामिल नहीं है.

किसी कंपनी का आईसीआर उसके एबिटडा को ब्याज लागत से भाग देकर निकाला जाता है. किसी कंपनी का एबिटडा उस कंपनी के ब्याज, कर, विमूल्यन और लोन देने से पहले की आय होता है. जून तिमाही में इन कंपनियों की ब्याज लागत में 25.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पिछले साल इसी तिमाही में यह वृद्धि 21.3 प्रतिशत थी.

विश्लेषण में सामने आया है कि इन्हीं कंपनियों की कुल मुनाफा दर में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 5.41 प्रतिशत की कमी आई है. जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इसमें 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इन कंपनियों की कुल बिक्री दर में केवल 4.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई. पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह वृद्धि 18.2 प्रतिशत थी.

कंपनियों के आईसीआर में यह कमी तब हुई है जब इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक रिजर्व बैंक रेपो रेट में 110 बीपीएस की कटौती कर चुका है. पिछले साल जून की शुरुआत से लेकर इस साल जून तक रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 50 बीपीएस की कुल कटौती की है. वहीं केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में इस साल फरवरी में 25 और अगस्त में 35 बीपीएस की कटौती की है.

रेपो रेट में कटौती के बाद भी कंपनियों के आईसीआर में कमी की वजह व्यावसायिक बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को बताया जा रहा है.

व्यावसायिक बैंकों की ब्याज देने की दर को लेकर जारी आरबीआई डेटा के अनुसार फंड आधारित ब्याज दरों की साल दर साल सीमांत लागत में वृद्धि हुई है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 8.7 प्रतिशत रही. जबकि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 8.52 प्रतिशत थी.

कोटक इंस्टीट्यूटशनल इक्विटीज ने कहा कि आरबीआई द्वारा एमसीएलआर डाटा जारी होने के बाद भी ब्याज दर 9.8 प्रतिशत पर ही बनी हुई है. हालांकि, इसके नीचे जाने का अनुमान है. कोटक इक्विटीज ने कहा कि अगस्त में रेपो रेट में 35 बीपीएस की गिरावट और एमसीएलआर दरों में कमी की वजह से ब्याज दर में भी गिरावट होने का अनुमान है.

वहीं रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर गांधी का कहना है कि नए कदमों से कंपनियों को फौरी तौर पर कोई राहत नहीं मिलेगी, हलांकि इससे दरों में परिवर्तन की गति को तेजी जरूर मिलेगी.


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