उत्तर-पश्चिम भारत में अभी और इंतजार कराएगा मानसून


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दक्षिण-पश्चिमी मानसून फिलहाल पूर्वी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक आते-आते कमजोर पड़ गया है. इससे उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून आने में और देर होगी. शुरुआत में दक्षिण-पश्चिमी मानसून पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में धीरे-धीरे लेकिन लगातार बढ़ रहा था.

मौसम विभाग के ताजा अपडेट के मुताबिक, मानसून की प्रगति का संकेत देने वाली उत्तरी सीमा का वेरावल और सूरत (गुजरात), इंदौर (मध्य प्रदेश), सुल्तानपुर और लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश) और मुक्तेश्वर (उत्तराखंड) से होकर गुजरना जारी है.

पुणे के मौसम विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डीएस पाई ने कहा, “बीते कुछ दिनों में मानसून में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है. देश के उत्तरी हिस्सों में ज्यादातर केवल बादल ही गरजे और बारिश बहुत कम हुई है. अभी के लिए देश के पूर्वी हिस्से में मानसून के बढ़ने की उम्मीद नहीं की जा सकती है. मानसून के पश्चिमी छोर (गुजरात) से बढ़ते हुए मध्य प्रदेश और बाकी हिस्सों में पहुंचने की उम्मीद है.”

मौसम विभाग के अधिकारियों को उम्मीद है कि उत्तरी बंगाल की खाड़ी में 30 जून तक कम दबाव वाले क्षेत्र बनने से सुस्त पड़े मानसून में कुछ तेजी आएगी. इससे नमी वाली पूर्वी हवाओं को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी. इन हवाओं की मदद से मध्य भारत के बचे हिस्से और कुछ पश्चिमी और पश्चिमोत्तर भारत के हिस्सों में 1-3 जुलाई तक मानसून आ जाएगा.

मौसम के वर्तमान पूर्वानुमान के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 3 जुलाई से पहले तक मानसून नहीं आएगा.

क्षेत्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र, दिल्ली के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा, “2-3 जुलाई को पश्चिमी यूपी और दिल्ली के कुछ हिस्सों में हल्की-फुल्की बारिश हो सकती है. उससे पहले आमतौर पर बादल छाए रहेंगे. हल्की हवाओं से लोगों को थोड़ी बहुत राहत मिलेगी लेकिन दिन शुष्क होंगे.”

पश्चिमी छोर में मानसून पूरे महाराष्ट्र में आ चुका है और अब दक्षिणी गुजरात में दाखिल हुआ है. सूखे से पीड़ित महाराष्ट्र में इस बार 54 फीसदी कम बारिश हुई है. राज्य के विदर्भ क्षेत्र में हालात और खराब हैं. यहां 69 फीसदी कम बारिश हुई है.

देश में अब तक सामान्य (144.3 मिलिमीटर) से 35 फीसदी कम (92.4) मिलिमीटर ही बारिश हुई है.

अब तक कुल 36 उपखंडों में से 29 उपखंडो में 20 फीसदी कम बारिश हुई है. तीन उपखंडों विदर्भ, पूर्वी मध्य प्रदेश और पश्चिमी यूपी में 60 फीसदी कम बारिश हुई है. अभी तक केवल पांच उपखंडों में सामान्य बारिश हुई है. इसमें जम्मू-कश्मीर, रेयालसीमा, उत्तरी कर्नाटक, सिक्किम और लक्षद्वीप शामिल हैं.

राज्यों की बात करें तो स्थिति बेहद निराशाजनक है. झारखंड में 57 फीसदी कम बारिश हुई है. तमिलनाडु में 55 फीसदी और उत्तर प्रदेश में 51 फीसदी तक बारिश नहीं हुई है.

इस वर्ष बारिश बहुत अहमियत रखती है. देश के ज्यादातर हिस्से सूखे के चपेट में हैं.मानसूनआने में देर होने की वजह से राज्य भर में खरीफ फसलों की बुवाई पर भी बुरा असर पड़ा है.

पूर्वी छोर की बात करें तो वहां हालात कुछ बेहतर हैं. बेहतर मानसून की वजह से उत्तर पूर्वी राज्यों जैसे मेघालय और असम, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, मिजोरम और त्रिपुरा में लगातार बारिश हो रही है. मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार इन इलाकों में शुक्रवार 28 जून से बारिश में थोड़ी कमी हो सकती है.


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