दिल्ली सरकार ने चुनाव आयोग के निर्देश को बताया ‘गैरकानूनी’
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दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने चुनाव आयोग के आदेश को मानने से इनकार कर दिया है. शिक्षा निदेशालय ने दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले सभी छात्रों के अभिवावकों के वोटर आईकार्ड का विवरण और मोबाईल नंबर मांगा था. जिसके बाद चुनाव आयोग ने आपत्ति जताई थी.
मनीष सिसोदिया ने मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत को पिछले सप्ताह लिखे पत्र में कहा था कि शिक्षा निदेशालय को निर्देश देने का अधिकार चुनाव आयोग के पास नहीं है. उन्होंने निर्देश को ‘गैरकानूनी’ बताते हुए इनकार कर दिया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह पहला मौका है जब आम आदमी पार्टी ने चुनाव आयोग के निर्देश को मानने से इनकार कर दिया है. सितम्बर महीने में दिल्ली सरकार ने सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को अपने संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों, उनके अभिभावक और भाई-बहनों के मोबाईल नंबर, वोटर आई-कार्ड और उनकी शैक्षणिक योग्यता संबंधी जानकारी मांगी थी. सरकार के मुताबिक इसका उदेश्य दिल्ली के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के स्थायी पते की पुष्टि करना था.
अब शिक्षा निदेशालय की ओर से आठ अक्टूबर को संशोधित सर्कुलर में कहा गया है, “ डाटा बैंक छात्रों के स्थायी पते की पुष्टि करने के लिए बनाया जा रहा है. इसके विश्लेषण से तत्कालीन और दूरगामी योजना बनाने में मदद मिलेगी.”
दिल्ली सरकार के इस फैसले को विपक्ष और सामाजिक संगठन प्राइवेसी पर हमला मान रहे हैं. पूरा मामला अब दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है. इस संबंध में शिकायत मिलने पर चुनाव आयोग ने आपत्ति जताई थी.
वहीं मनीष सिसोदिया ने चुनाव आयोग के निर्देश पर सवाल उठाते कहा कि आयोग दूरसंचार कंपनी और बैंक को वोटर कार्ड देने से क्यों नहीं रोकती है.
जानकारों के मुताबिक किसी तीसरे पक्ष को वोटर कार्ड की जानकारी इकट्ठे करने का अधिकार नहीं है जबकि पते के पहचान के तौर पर वोटर कार्ड की फोटोकॉपी स्वेच्छा से दी जा सकती है. इस मामले में अबतक चुनाव आयोग और मनीष सिसोदिया की ओर से कोई बयान नहीं आया है.