राज्यों ने निर्भया फंड का केवल 20 फीसदी खर्च किया


states have used only 20 percent of nirbhaya fund

 

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने महिलाओं की सुरक्षा हेतु बनाए गए निर्भया फंड का 20 फीसदी से भी कम इस्तेमाल किया है.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2015 और 2018 के बीच केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए निर्भया फंड के तहत महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर बजट आवंटित किया था. 2015 से 2019 के बीच कुल 1,813 करोड़ रुपये केंद्र की ओर से जारी किए गए हैं.

अखबार द हिन्दू के मुताबिक 2018 तक 854.66 करोड़ रुपये आवंटित हो चुका था. इसके उपयोग का विवरण 28 जून को महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में दिया.

उपलब्ध डेटा के मुताबिक केंद्र के आवंटित किए गए 854.66 करोड़ रुपये में से केवल 165.48 करोड़ रुपये ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अलग-अलग योजनाओं पर खर्च किया है.

दिसंबर 2012 में नई दिल्ली में एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर यूपीए-2 ने निर्भया फंड बनाया था. इस फंड की शुरुआत 1,000 करोड़ रुपये के साथ की गई थी. यह फंड महिलाओँ की सुरक्षा संबंधी सभी योजनाओं की मदद के लिए है. पिछले छह सालों में केंद्रीय बजट में आवंटित होने के साथ यह फंड बढ़कर 3,600 करोड़ रुपये का हो गया है. इस फंड का गठन 2013 में ही हो गया था लेकिन इसका उपयोग 2015 से होना शुरु हुआ था.

राज्यों को कई मुख्य योजनाओं के तहत रुपये आवंटित किए गए हैं. इसमें आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली, केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम, वन स्टॉप स्कीम, महिला पुलिस वालंटियर और महिला हेल्पलाइन योजना का सार्वभौमीकरण शामिल है.

शीर्ष पांच राज्यों जिन्होंने अलग-अलग योजनाओं के तहत निर्भया फंड का इस्तेमाल किया है – चंडीगढ़ (59.83 फीसदी), मिजोरम (56.32 फीसदी), उत्तराखंड (51.68 फीसदी), आंध्र प्रदेश (43.23 फीसदी) और नागालैंड (38.17 फीसदी) हैं. सरकारी डेटा के मुताबिक चंडीगढ़ में केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष और महिला हेल्पलाइन योजना के लिए आवंटित किए गए रुपये उसससे ज्यादा  इस्तेमाल हुए हैं.

महिला सुरक्षा पर एक पैसा भी खर्च नहीं करने के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन मणिपुर, महाराष्ट्र, लक्षद्वीप का रहा है. पश्चिम बंगाल (0.76 फीसदी) और दिल्ली (0.84 फीसदी) ने भी न के बराबर पैसे खर्च किए हैं.

दिल्ली में हुए जिस हादसे के बाद ये फंड बना था उसी केंद्रशासित प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए पैसे खर्च नहीं किए गए हैं. चार योजनाओं के लिए दिल्ली को कुल 35 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इसमें से आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम, महिला हेल्पलाइन योजना में कोई खर्च नहीं की गई है. लिंग आधारित हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए राजधानी दिल्ली ने कुल रुपयों में से 3.41 फीसदी इस्तेमाल किया है.

36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में से किसी से भी महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम योजना पर कोई पैसा खर्च नहीं किया है. केंद्र ने साल 2017 में इसके लिए 93.12 करोड़ रुपये आवंटित किया था.

बलात्कार, एसिड हमलों, मानव तस्करी और क्रॉस बॉर्डर फायरिंग में मारे गए या घायल हुए लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए 21 राज्यों ने केंद्रीय पीड़ित मुआवजा कोष के तहत किसी भी धन का उपयोग नहीं किया है. 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 200 करोड़ रुपये राज्य सरकारों के फंड के साथ-साथ मुआवजे की मात्रा में असमानता को कम करने के उद्देश्य से कार्यक्रम के लिए आवंटित किया गया था.


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