2019 में दिल्ली की सड़कों पर उमड़ा जन सैलाब, हुए सबसे ज्यादा प्रदर्शन


delhi police data show protest in delhi reaches new high in 2019

 

शांतिपूर्ण प्रदर्शन या विरोध किसी भी देश में नागरिकों का मूलभूत अधिकार होता है. हालिया सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि दिल्ली में बीते नौ वर्षों में सबसे अधिक प्रदर्शन साल 2019 में हुए.

बीते साल दिल्ली में एयरलाइन क्रू, छात्र, बेरोजगार, किसान, संमलैंगिक समेत खुद पुलिस अपनी मांगों के साथ सड़कों पर थी.

दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक 2019 में कुल 12,652 प्रदर्शन, धराने और विरोध बैठके आयोजित की गईं. 2018 के मुकाबले इसमें 46 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई.

दिल्ली पुलिस का ये आंकड़ा केवल 15 दिसंबर तक की तस्वीर पेश करता है इसलिए इसमें सीएए के खिलाफ साल के आखिर में आयोजित हुए सैकड़ों प्रदर्शनों की संख्या शामिल नहीं है.

हिंदुस्तान टाइम्स ने एक दिल्ली पुलिस अधिकारी के हवाले से लिखा कि अगर सीएए और एनआरसी के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को भी शामिल कर लिया जाए तो संख्या 500 तक और बढ़ जाएगी.

साल 2020 की शुरुआत देश भर में भारी विरोध प्रदर्शनों के साथ हुई. सीएए, एनआरसी, छात्रों के साथ हिंसा, प्रदर्शनकारियों पर पुलिस दमन के खिलाफ देश भर में लगातार प्रदर्शन जारी है. ऐसे में संभावना है कि इस साल भी प्रदर्शनों की संख्या में अच्छा-खासा इजाफा हो.

समाज में सरकार के खिलाफ बढ़ती असहमति और विरोध इन प्रदर्शनों के केंद्र में है. लेकिन सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू इन प्रदर्शनों का ये है कि प्रदर्शन और विरोध किसी भी लोकतंत्र के लिए बेहद अहम होते हैं.

कई नागरिक समाज के कार्यकर्ता इन प्रदर्शनों को सरकार की नीतियों के खिलाफ बढ़ती असहमति के तौर पर देखते हैं.

2011 के बाद से प्रदर्शनों के आंकड़े मौजूद हैं. साल 2011 में ही भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के नेतृत्व में छात्रों, युवाओं और आम कामगारों ने बड़ी संख्या में लोकपाल की मांग के साथ भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में हिस्सा लिया था. उस साल कुल 5,354 प्रदर्शन हुए थे. अगले साल 2012 में निर्भया गैंग रेप के बाद भी दिल्ली की सड़कों में लाखों का जन सैलाब उमड़ा था. साल 2012 में कुल 8,405 प्रदर्शन हुए थे.


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