कोर्ट ने माना पूर्व कोयला सचिव दोषी, अगली सुनवाई तीन दिसंबर को
PTI
दिल्ली की एक विशेष अदालत ने कोयला खदान आवंटन में हुई अनियमितता मामलें में पुर्व कोयला सचिव एच सी गुप्ताको दोषी पाया है. विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पाराशर ने गुप्ता के अलावा निजी कंपनी विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड के प्रबंध निदेशकविकास पटानी, अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता आनंद मलिक, कोयला मंत्रालय में पूर्व संयुक्त सचिव के एस क्रोफा और कोयला मंत्रालय में तत्कालीन निदेशक (सीए-1) के सी सामरिया समेत पांच को मामले में दोषी ठहराया.
इन पर अदालत में कोयला घोटाला के एक मामले में भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश काआरोप है. कोर्ट ने माना है कि पश्चिम बंगाल के मोईरा और मधजोरा कोयला खदान के आवंटन में पारदर्शिता नहीं बरती गई जिसकी वजह से विकाश मेटल्स एंड पावर लिमिटेड को फायदा पहुंचा.
अदालत ने इन्हें आईपीसी की विभिन्न घारा के तहत दोषी पाया है और प्रीवेंसन आव कर्पसन एक्ट के हिरासत में ले लिया लया है. सीबीआई ने सितंबर 2012 में इससे संबंधित एक प्राथमिकी दर्ज की थी.
इस मामले में अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी.
एच सी गुप्ता 1971 बैच के आईएएस अघिकारी है. इससे पहले झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के साथ कोयला खदान में हुई अनियमितता मामलें में कोर्ट ने दोषी पाया था.
उस वक्त राजगढ़ कोयला खदान आवंटन में हुई गड़बड़ी और नीजी कंपनी वीनी आयरन एंड स्टील उद्दयोग लिमीटेड को फायदा पहुंचाने के लिए कोड़ा के साथ एच सी गुप्ता पर भी आरोप था. इसके साथ ही मध्य प्रदेश के एक मामलें में भी उन्हें दो साल की सजा हुई थी.
इन सब आरोप के बावजूद कोयला सचिव गुप्ता के समर्थन में कई आवाज उठी थी. 2016 में आईएएस एसोसिएशन ने समर्थन में कहा था कि वो “ईमानदार और काम के प्रति समर्पित व्यक्ति है.” कुछ की तरफ से यह भी मांग थी की प्रीवेंसन आव कर्पसन एक्टजैसे कानून को बदल देना चाहिए, इसकी वजह से गुप्ता जैसे ईमानदार अफसर को फंसाया जाता है.