…और रो पड़े देवेगौड़ा


Deve Gowda breaks down as he announces grandson's name for Hassan seat

 

वंशवादी राजनीति के आरोपों से घिरे पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (सेकुलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचडी देवेगौड़ा एक रैली के दौरान रो पड़े.

बीते बुधवार को हसन जिले में पार्टी की रैली हुई थी.  विपक्ष का आरोप है कि देवेगौड़ा अपने परिवार के लोगों को ही पार्टी के ऊंचे पदों पर भेजते हैं. एचडी देवेगौड़ा के दो पोते निखिल कुमार और प्राजवल रेवान्ना आगामी आम चुनाव लड़ेंगे.  एचडी देवेगौड़ा ने अपनी हसन सीट पोते प्राजवल के लिए छोड़ दी है. वहीं निखिल कुमार मंड्या से जेडीएस के उम्मीदवार हैं.

निखिल कुमार मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे हैं. वहीं, प्राजवल रेवान्ना लोक निर्माण मंत्री एचडी रेवान्ना के बेटे हैं. दोनों ही सीटें पार्टी का परंपरागत गढ़ मानी जाती हैं. हालांकि  गौड़ा परिवार के लोगों को राजनीतिक मौके मिलने से पार्टी के बाहर के साथ-साथ पार्टी के अंदर भी विरोध हो रहा है.

बुधवार को देवेगौड़ा ने कहा कि उन्होंने कई नेताओं की पदोन्नति की है. फिर भी निखिल और प्राजवल के लिए उनकी आलोचना की जा रही है.

उन्होंने कहा, “मीडिया लगातार देवेगौड़ा, रेवान्ना, कुमारस्वामी और उनके पोते के बारे में कह रही है. इतने सारे इल्जाम लगाए जा रहे हैं. ” देवेगौड़ा ने कहा, “आप सब और हमारे विधायकों की आज्ञा और दुआ से मैंने अपनी हसन सीट प्राजवल के लिए छोड़ दी.”

रैली के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान देवेगौड़ा ने कहा कि निखिल कुमार के खिलाफ मांड्या में चलाए गए अभियान से वे बहुत दुखी हैं. निखिल कुमार सुमालता अंबरीश के खिलाफ खड़े हुए हैं. सुमालता अंबरीश फिल्म कलाकार एमएच अंबरीश की पत्नी हैं, जो तीन बार इस सीट से सांसद रह चुके हैं.

सुमालता अंबरीश ने बीते मंगलवार को आधिकारिक रूप से चुनाव लड़ने की घोषणा की. वहां के स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं  से उन्हें काफी समर्थन मिला है.

देवेगौड़ा ने जोड़ा कि मांड्या में लोगों ने बड़ा विवाद खड़ा किया है. हालांकि निखिल को आठ विधायकों, तीन एमएलसी और पंचायत प्रमुखों और विभिन्न संगठनों के प्रमुखों का समर्थन हासिल है. उन्होंने सफाई देने के अंदाज में कहा कि निखिल को उम्मीदवार बनाने का निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया. उन्होंने इसका फैसला किया और मैंने कोई घोषणा नहीं की.

वहीं, बीजेपी ने देवेगौड़ा को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ” अगर रोना एक कला होता तो देवेगौड़ा और उनके परिवार के पास दशकों से लगातार लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए ‘आर्ट ऑफ़ क्राईंग’ में महारत हासिल करने का रिकॉर्ड होता. तथ्य यह है कि चुनाव से पहले देवेगौड़ा और उनका परिवार सिर्फ रोता है. चुनाव के बाद इस परिवार को वोट देने वाले लोग रोते हैं.”


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