केरल क्लब में नोटबंदी पर आधारित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर रोक
द टेलीग्राफ से साभार
नोटबंदी की मार झेल रहे चायवाले पर आधारिक एक डॉक्यूमेंट्री को संघ परिवार की ओर से कथित धमकियों के बाद केरल क्लब में प्रदर्शित होने से रोक दिया गया.
द टेलीग्राफ लिखता है कि मलयालम डॉक्यूमेंट्री “Oru Chaayakadakarante” की कहानी कोल्लम के एक चायवाले पर आधारित है, जो नोटबंदी की मार के चलते अपनी सारी जमा पूंजी खर्च करने के लिए मजबूर हो जाता है.
दिल्ली स्थित केरल क्लब मलयालियों की एक निजी संस्था है. क्लोन सिनेमा अल्टरनेटिव संस्था के राष्ट्रीय समन्वयक पीएस रामदास ने क्लब में फिल्म की स्क्रीनिंग का कार्यक्रम रखा था. कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा कि केरल क्लब के सदस्यों को फिल्म प्रदर्शित करने से रोका गया और डराया गया क्योंकि इस फिल्म में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की गई है.
2016 में नोटबंदी करने वाले प्रधानमंत्री मोदी अक्सर अपने बचपन में चायवाला होने के अनुभवों को साझा करते रहते हैं. फिल्म में प्रधानमंत्री के रेडियो कार्यक्रम मन की बात का भी सांकेतिक रूप में उल्लेख किया गया है.
केरल क्लब के एक सदस्य ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि फिल्म के प्रदर्शन से पहले उन्हें संघ परिवार की नाराजगी का सामना करना पड़ा.
यह डॉक्यूमेंट्री बीते साल रिलीज हुई थी. कोच्चि में बीजेपी समर्थकों ने फिल्म का विरोध किया था हालांकि अब तक फिल्म को प्रदर्शित होने से रोकने की कोशिश नहीं की गई थी.
दिल्ली में पहली बार फिल्म का प्रदर्शन आखिरकार मंगलवार रात दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के कार्यालय में हुआ.
रामदास ने कहा कि “केरल क्लब के सदस्यों ने हमें सूचित किया कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं और वो फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं कर सकते हैं. उन्होंने ऐसा करने वालों का नाम नहीं बताया पर उन्होंने कहा कि उन्हें चेतावनी मिली है कि ऐसी फिल्म की स्क्रीनिंग ना करें जो प्रधानमंत्री की छवि को गलत तरह से प्रस्तुत करती है. जिसके बाद कार्यक्रम में फिल्म की स्क्रीनिंग नहीं हुई लेकिन आर्थिक संकट पर शिक्षाविद और पत्रकार सुकुमार मुरलीधरन के साथ चर्चा की अनुमति दे दी गई.”
चर्चा में मौजूद द ट्रिब्यून अखबार के पूर्व संपादक और केरल क्लब की प्रबंध समिति के सदस्य एजे फ्लीप ने कहा, “क्लब किसी राजनीतिक पार्टी की ओर झुकाव नहीं रखता है. हमने बीजेपी, कांग्रेस और सीपीएम नेताओं के साथ यहां चर्चाएं आयोजित की हैं. लेकिन सदस्यों को संघ परिवार की ओर आए फोन कॉल के बाद हमने स्क्रीनिंग को रद्द करने का फैसला किया.”
पत्रकार सानू कुमिल के निर्देशन में बनी डेढ़ घंटे की ये डॉक्यूमेंट्री एक डार्क कॉमेडी है. ये डॉक्यूमेंट्री जून में केरल में आयोजित हुए 11वें अंतरराष्ट्रीय डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में “बेस्ट शॉर्ट डॉक्यूमेंटरी” का पुरस्कार जीत चुकी है.
फिल्म 75 वर्षीय चायवाले यहिया के इर्द गिर्द घूमती है. कहानी की बात करें तो यहिया के साथ चोरी की एक वारदात होती है जिसके बाद वो अपनी जमा पूंजी जमीन में दबा देता है. नोटबंदी के बाद यहिया बैंक के बाहर अपने 23,000 रुपये बदलने के लिए लाइन में लगता है, जहां वह बेहोश हो जाता है. आखिर में वो अपने रुपये जलाने को मजबूर हो जाता है.