दूरदर्शन को ‘आरएसएस’ और ‘फासीवादी’ शब्दों से दिक्कत


doordarshan asked cpielection campaign statement to remove controversial word party refused

 

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले पार्टी के चुनाव अभियान भाषण में कांट-छांट करने से इनकार कर दिया है. प्रसार भारती की पुनरीक्षण समिति ने सीपीआई के चुनाव अभियान के वक्तव्य से ‘आरएसएस’ एवं ‘फासीवादी विचारधारा’ जैसे शब्दों को हटाने का निर्देश दिया था. पार्टी इसकी शिकायत चुनाव आयोग से करेगी.

दूरदर्शन पर इससे पहले सरकार के पक्ष में काम करने के आरोप लगते रहे हैं. इससे पहले दूरदर्शन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन प्रसारित किया गया था. एंटी मिसाइल के लांच के बाद राष्ट्र के नाम यह संबोधन उन्होंने आचार संहिता लगने के बाद दिया था.

भाकपा के सचिव बिनय विस्वम ने 18 अप्रैल को प्रसार भारती की पुनरीक्षण समिति के उस निर्देश पर आपत्ति जताई जिसमें पार्टी को अपने चुनाव अभियान के वक्तव्य से ‘आरएसएस’ एवं ‘फासीवादी विचारधारा’ जैसे शब्दों को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए हटाने के लिए कहा गया है.

सभी राजनीतिक दलों को आकाशवाणी और दूरदर्शन पर प्रसारण के लिये चुनाव अभियान भाषण पढ़ने का समय दिया जाता है.

विस्वम ने बताया कि आकाशवाणी पर वक्तव्य के प्रसारण की रिकॉर्डिंग हो चुकी है. और दूरदर्शन ने कुछ ऐसे शब्दों पर आपत्ति जताते हुए इन्हें हटाने के लिए कहा है, जो पार्टी की विचारधारा और प्रचार अभियान के अभिन्न अंग हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘प्रसार भारती मोदी सरकार के इशारे पर इस तरह की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई कर रहा है. हम अपने वक्तव्य में बदलाव नहीं करेंगे. पार्टी इसकी चुनाव आयोग से लिखित शिकायत करेगी.’’

उन्होंने बताया कि प्रसार भारती ने अपने निर्देश में कहा है कि आरएसएस कोई राजनीतिक दल नहीं है इसलिये वक्तव्य में इसका इस्तेमाल अनुचित है. विस्वम ने कहा कि यह अभिव्यक्ति की आजादी और जनता के बीच अपनी विचारधारा को प्रकट करने का राजनीतिक दलों के अधिकार का उल्लंघन है.

इस दौरान भाकपा के महासचिव एस सुधाकर रेड्डी ने बीजेपी की तरफ से मालेगांव हमला की आरोपी साध्वी प्रज्ञा को टिकट देने पर भी आपत्ति जतायी है. रेड्डी ने आरोप लगाया कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवादी मामलों के आरोपियों को राजनीति में लाने की शुरुआत कर दी है.


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