प्रधानमंत्री मोदी को क्लीन चिट देने पर एकमत नहीं था चुनाव आयोग


ec says no model code violation by Niti Aayog in sharing district level data with PMO

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आचार संहिता उल्लंघन से जुड़े दो मामलों में चुनाव आयोग की ओर से मिली क्लीन चिट पर आयोग एकमत नहीं था. विपक्षी दल कांग्रेस ने शिकायत की थी कि वर्धा और लातूर में प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में आचार संहिता का उल्लंघन किया था.

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक तीन सदस्यीय बोर्ड ने इन दोनों ही मामलों में 2-1 के बहुमत से फैसला किया.

तीन सदस्यीय बोर्ड में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के साथ चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा शामिल हैं.

हालांकि बारमेड़ के राजस्थान में न्यूक्लियर हथियारों के संबंध में दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण पर क्लीन चिट देने का फैसला आयोग ने एकमत से लिया था.

निर्वाचन आयोग अधिनियम, 1991 के सेक्शन 10 में कहा गया है कि जहां तक संभव हो आयोग सभी काम पूर्ण सहमति से करे. साथ ही यह भी कहा गया है कि अगर किसी मुद्दे पर आयोग के सदस्य एकमत नहीं हैं तो फैसला बहुमत के आधार पर लिया जाए.

हालांकि 1991 में अधिनियम लागू होने के बाद आयोग में अधिकतर फैसले बहुमत के आधार पर ही लिए गए हैं.

कांग्रेस प्रधानमंत्री मोदी के वर्धा में भाषण के दौरान दिए गए एक बयान के खिलाफ चुनाव आयोग पहुंची थी. 1 अप्रैल को दिए अपने भाषण में मोदी ने कहा था, ‘‘कांग्रेस ने हिंदुओं का अपमान किया और देश के लोगों ने पार्टी को चुनाव में दंडित करने का फैसला किया है. उस पार्टी के नेता अब उन लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ने से डर रहे हैं जहां बहुसंख्यक (हिंदू) जनसंख्या का प्रभुत्व है.’’

आयोग ने कांग्रेस की शिकायत पर फैसला करते हुए कहा प्रधानमंत्री का उक्त बयान जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(3A) और 125 का उल्लंघन नहीं करता है. यह धारा चुनाव में उम्मीदवार द्वारा धर्म, जाति, नस्ल, समुदाय और भाषा के आधार पर विभिन्न वर्गों के लोगों में नफरत और द्वेष की भावना के प्रचार से जुड़ी हुई है.

चुनाव प्रचार के दौरान सेना के उल्लेख पर आयोग की ओर से लगाई गई रोक के बावजूद मोदी ने महाराष्ट्र के लातूर में अपने भाषण के दौरान कहा, ”क्या आपका पहला वोट हवाई हमला करने वालों के लिए हो सकता है?” आयोग ने उनके इस बयान को भी आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना है.

हालांकि इस मामले में ओसामाबाद जिला निर्वाचन अधिकारी ने आयोग को सौंपी अपनी रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी के बयान को ‘अनुचित’ बताया था.

प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन से जुड़े अन्य मामलों में कांग्रेस नेता सुष्मिता देव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि वो इन आरोपों पर छह मई तक निर्णय ले.

ऐसे में अब आयोग प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन के दूसरे मामलों पर 6 मई को पांचवे चरण के मतदान से पहले फैसला सुना सकता है.

एक अन्य शिकायत 6 अप्रैल को महाराष्ट्र के नांदेड़ में दिए गए प्रधानमंत्री के भाषण को लेकर भी की गई. यहां भी उन्होंने वायनाड सीट का ज़िक्र करते हुए उन्हीं शब्दों को दोहराया जो उन्होंने वर्धा में कहे थे. इसके अलावा 21 अप्रैल को गुजरात के पाटन में प्रधानमंत्री मोदी के भाषण पर भी आयोग का फैसला आना बाकी है. यहां मोदी ने कहा था कि अगर पाकिस्तान भारत के पायलट (अभिनन्दन) को वापस नहीं करता तो वह रात क़त्ल की रात होती.

इस दौरान उन्होंने एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक का भी ज़िक्र किया था.


Big News