औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, आठ महीने के उच्चतम स्तर पर महंगाई दर


industrial output decline by 1.1 percent in august

 

मंदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था के लिए 12 जुलाई को दो बुरी खबर आईं. जहां एक तरफ मुद्रास्फीति बढ़ गई तो वहीं दूसरी तरफ औद्योगिक उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई.

जून महीने के लिए जारी आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर आठ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. जून में वार्षिक महंगाई दर 3.8 प्रतिशत हो गई जो मई में 3.05 प्रतिशत थी. चिंता की बात ये है कि महंगाई दर में वृद्धि की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों का महंगा होना है.

खाद्य पदार्थों में आधा प्रतिशत से ज्यादा की बड़ी उछाल देखी गई. जहाँ मई में खाद्य महंगाई दर 1.83 प्रतिशत थी, वहीं जून में ये 0.54 प्रतिशत बढ़कर 2.37 प्रतिशत हो गई. सब्जियों में महंगाई दर 4.66 प्रतिशत के मुकाबले जून में 5.46 किया गया. वहीं ईंधन की कीमतों में महंगाई दर जून में 2.48 प्रतिशत रही जो मई में 2.32 प्रतिशत थी. महंगाई दर में वृद्धि का ये लगातार चौथा महीना है.

अर्थव्यवस्था के लिए दूसरी बुरी खबर ये है कि औद्योगिक उत्पादन दर मई के 0.07 प्रतिशत गिरकर 3.1 प्रतिशत रह गई. मई में औद्योगिक उत्पादन दर 3.8 प्रतिशत थी. सीएसओ  की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एक प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट आई. ये जून 2019 में 2.5 प्रतिशत रह गई, जबकि पिछले साल इसी महीने में ये 3.6 प्रतिशत थी. माइनिंग सेक्टर में ढाई प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखी गई.

ये पिछले साल के 5.8 प्रतिशत के मुकाबले इस साल जून में 3.2 प्रतिशत रह गई, जबकि क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा की विशेषज्ञ अदिति नायर के मुताबिक जून में औद्योगिक उत्पादन दर में गिरावट का दायरा पिछले महीने के बनिस्बत बढ़ा है और केवल नॉन कंज्यूमर उत्पादों के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन देखा गया. उनके मुताबिक प्राइमरी, कैपिटल और इंटरमीडिएटरी गुड्स में तीन प्रतिशत से कम की वृद्धि दर चिंताजनक है.

उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी का असर है और माइनिंग तथा बिजली उत्पादन में वृद्धि के बावजूद जून में औद्योगिक उत्पादन दर कमजोर रहेगी.


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