इंडोनेशिया से तेल के बदले चीनी की खबरों से खाद्य तेल उद्योग सकते में
भारतीय कच्ची चीनी के इंडोनेशिया में निर्यात के बदले वहां से आने वाले रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क घटाए जाने के प्रस्ताव को सरकार द्वारा स्वीकार कर लिए जाने की खबरों से भारत का खाद्य तेल उद्योग सकते में है.
इस संबंध में रिपोर्ट्स इंडोनेशिया की मीडिया में आई हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार इंडोनेशिया के व्यापार मंत्री एनगार्तिआस्तो लुकोता ने कहा कि इंडोनेशिया द्वारा भारत से बड़ी मात्रा में कच्ची चीनी आयात किए जाने के बदले भारत सरकार ने इंडोनेशिया से भेजे जाने वाले रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क घटाने की हामी भर दी है. वहीं भारतीय वाणिज्य मंत्रालय ने अभी इस ओर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
असल में भारत कच्ची चीनी के अतिरिक्त स्टॉक की समस्या से जूझ रहा है. यह अनुमान लगाया गया है कि अगले सीजन तक कच्ची चीनी का स्टॉक 140 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाएगा. इंडोनेशियाई मीडिया में आई इन रिपोर्ट्स से भारतीय कच्ची चीनी उद्योग में खुशी की लहर है.
भारत सरकार ने मलेशिया से आने वाले रिफाइंड पाम तेल पर 45 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया हुआ है. वहीं इंडोनेशिया से आने वाले पाम तेल पर यह शुल्क 50 प्रतिशत है. हालांकि, भारतीय किसानों की सहायता करने के लिए पिछले सप्ताह भारत सरकार ने मलेशिया से आने वाले रिफाइंड पाम तेल पर भी आयात शुल्क बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया.
इन खबरों से जहां एक ओर भारतीय कच्ची चीनी उद्योग में खुशी की लहर है, वहीं खाद्य तेल उद्योग सकते में है.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएसन के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहा, “हम वाणिज्य मंत्रालय से इस पूरे मुद्दे पर स्पष्टीकरण जारी करने के लिए कहेंगे. यदि तेल का बाहर से सीधे तौर पर आयात किया जाता है, तो इससे क्रशिंग और रिफाइनिंग यूनिटों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भारत के पास रिफाइंड पाम तेल का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त क्षमता है.”
भारत की चीनी मिलें इंडोनेशिया में कच्ची चीनी का निर्यात नहीं कर पा रही हैं. इसका प्रमुख कारण यह है कि इंटरनेशनल कमीशन फॉर यूनीफॉर्म मेथड्स ऑफ शुगर एनालिसिस में भारतीय कच्ची चीनी का स्तर 500 से 600 के बीच है. वहीं कच्ची चीनी का वैश्विक औसत स्तर 1200 आईसीयूएमएसए है.
इंडोनेशिया ने प्रस्ताव रखा है कि यदि भारत उसके यहां से आने वाले रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क घटाता है तो वह 1200 आईसीयूएमएसए से कम स्तर वाली भारतीय कच्ची चीनी का आयात करने के लिए तैयार है. इंडोनेशिया में चीनी के मामले में विश्व का एक बड़ा आयातकर्ता है. इसकी वार्षिक मांग 35 से 45 लाख टन है.