लगातार मुश्किल होता जा रहा है शिक्षा के लिए मिलने वाला बैंक लोन


education loan has become tougher now

 

शिक्षा के लिए मिलने वाले लोन का दायरा लगातार सिकुड़ता जा रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक ऐसे शैक्षणिक और पेशेवर संस्थान जिनमें दाखिले के लिए छात्रों को बैंक लोन मिलता था, उनकी संख्या या तो कम हो रही है, या लोन लेने की शर्तें कठिन होती जा रही हैं.

खबर के मुताबिक एचआरडी मंत्रालय की ओर से जारी ताजा दिशा-निर्देशों के तहत शैक्षणिक लोन योजना के लिए पात्रता कठिन हो गई है. नई पात्रता शर्तों के मुताबिक़ अब छात्र केवल केंद्र द्वारा प्रायोजित संस्थान, विश्वविद्यालय,राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) द्वारा मान्यता प्राप्त तकनीकी संस्थानों के शैक्षणिक और पेशेवर कोर्सों में दाखिला के लिए ही लोन ले सकेंगे.

इसके इतर कोई तकनीकी या पेशेवर कोर्स में दाखिले के लिए उसकी नियामक संस्था से सत्यापन करवाना होगा. मतलब अगर कोई छात्र नर्सिंग में दाखिला लेना चाहता है तो उसे नर्सिंग काउंसिल ऑफ इंडिया से अनुमति के बाद ही बैंकों से लोन मिल सकेगा.

उधर एनएएसी के नई रूपरेखा के मुताबिक, देश में इस समय कुल 59 मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय और 997 कॉलेज हैं. साल 2014 से 2019 के बीच एनएएसी से मान्यता प्राप्त संस्थानों की संख्या 1,056 थी.

बैंकों का मानना है कि एनएएसी द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थानों से शिक्षित छात्रों के लिए नौकरी पाना आसान होता है, जिससे उनके पैसे की भरपाई भी आसानी से हो जाती है. इसलिए ऐसे छात्रों को लोन आसानी से मिलता है.

मॉडल योजना के मुताबिक जिन छात्रों के अभिभावक 4.5 लाख तक कमाते हैं उनको ब्याज सब्सिडी का लाभ मिलेगा. इस योजना के तहत बिना किसी तीसरे पक्ष की गारंटी के 7.5 लाख रुपये तक का लोन मिलता है.

इस समय इस तरह के लोन के लिए दिए जाने वाले सभी आवेदन विद्या लक्ष्मी पोर्टल के माध्यम से बैंकों को भेजे जाते हैं. बीते चार साल के दौरान इस पोर्टल पर कुल 1.44 लाख आवेदन डाले गए हैं, जिनमें से 42,700 लोगों को ही लोन मिल सका है.

शैक्षणिक लोन के लिए जागरूकता देने वाले एक संस्थान से जुड़े के श्रीनिवासन का कहना है, “बैंकर शैक्षणिक लोन को महत्व नहीं देते हैं. छात्रों और बैंकरों के बीच इसको लेकर पर्याप्त जानकारी है. इस तरह के लोन पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जा रहा है.”

नियमों के मुताबिक इस लोन के लिए छात्रों के पास अपने क्षेत्र के तीन बैंक चुनने का विकल्प होता है. जब बैंकों के पास आवेदन पहुंच जाते हैं तो उन्हें 15 से 30 दिनों के भीतर छात्रों को जवाब देना होता है. श्रीनिवासन कहते हैं, “बैंक नियमों के मुताबिक छात्रों को जवाब नहीं देते हैं. छात्रों की शिकायतें सुनने के लिए जरूरी तंत्र भी मौजूद नहीं है.”

छात्रों को ये लोन 15 सालों के भीतर चुकाना होता है. बेरोजगार होने या कम रोजगार मिलने की स्थिति में इसे बढ़ाया जा सकता है.

कम लोन पास करने के बारे में जब चेन्नई के केनरा बैंक के अधिकारी से पूछा गया तो उनका कहना था कि हम लोन पास करने से पहले रोजगार की संभावनाओं को प्रमुखता से लेते हैं.


Big News