वीजा सख्ती के बाद भारतीय कंपनियों में अमेरिकियों की भर्ती पर जोर
एच-1 बी वीजा को लेकर बदले नियमों की वजह से भारत की आईटी सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां अमेरिका में स्थानीय लोगों की बहाली को प्राथमिकता दे रही हैं. स्थानीय लोगों की तुलना में विदेशी विशेषज्ञों की सेवाएं सस्ती होती हैं. इसके बावजूद आईटी कंपनियां अमेरिकियों को नौकरी दे रही हैं.
जानकारों के मुताबिक इससे कंपनियों के मुनाफे में कमी आने की संभावना है और प्रवासी लोगों की नौकरियों पर संकट बढ़ गया है.
अमेरिकी एच-1 बी वीजा विदेशी विशेषज्ञों को कम समय के लिए अमेरिका में नौकरी करने की अनुमति देता है.
अंग्रेजी अखबार द मिंट की खबर के मुताबिक 13 सितंबर को भारतीय कंपनी इंफोसिस लिमिटेड ने एरिजोना में शुरू किए गए टेक्नोलॉजी और इनोवेशन सेंटर के लिए 1,000 स्थानीय लोगों की भर्ती की घोषणा की है.
जून महीने में भारत की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो लिमिटेड ने अमेरिका के मिनेपोलिस-सेंट पॉल क्षेत्र में नए केन्द्र खोलने की घोषणा की है. जिसके लिए 100 स्थानीय लोगों की बहाली दो सालों में करने की योजना है. इस क्षेत्र में कंपनी का दबदबा है.
इसके साथ ही भारतीय कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विस लिमिटेड(टीसीएस) में 30,000 अमेरिकी काम करते हैं.
कोग्निजेंट अमेरिका में लगातार भर्तियां कर रही है. कंपनी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कंपनी की 76 फीसदी कमाई उत्तरी अमेरिका से होती है. कंपनी ने साल 2017 में अगले पांच साल में 25,000 नई भर्तियां करने का लक्ष्य रखा है.
एचसीएल टेक्नोलॉजी लिमिटेड एन 1बी वीजा से निर्भरता कम करने के लिए स्थानीय पेशेवरों की बहाली कर रही हैं. जानकारों का मानना है कि अमेरिका में एचसीएल के लिए 17,000 लोग काम करते हैं जिनमें 64.7 फीसदी अमेरिकी हैं.
अमेरिकी सरकार ने एक साल में अधिकतम 65 हजार एच 1 बी वीजा जारी करने को मंजूरी दी है. इसके अतिरिक्त अमेरिका से एडवांस डिग्री हासिल करने वाले 20,000 लोगों को यह वीजा मिलता है.
रेटिंग फर्म आईसीआरए के मुताबिक साल 2018 के सितंबर से अक्टूबर के बीच पिछले साल की तुलना में 10 फीसदी कम एच 1 बी वीजा जारी हुआ. नैस्कॉम के मुताबिक इन भारतीय कंपनियों में साल 2014 से 2017 के बीच एन 1 बी वीजा पाने वाले 40 फीसदी कम प्रवासियों की नियुक्तियां हुई हैं.
फर्म के मुताबिक बड़ी संख्या में वीजा रद्द करने की वजह से एच-1 बी वीजा पर नौकरी करने वाले प्रवासियों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है. वहीं अमेरिका में जन्में पेशेवरों की संख्या में पांच से सात फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी ने यूएस सिटीजन एंड इमिग्रेशन सर्विस के डाटा विश्लेषण से पाया है कि वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में विप्रो के लिए दिए गए 62 फीसदी एन 1 बी वीजा के आवेदन को नामंजूर किया गया है. यह वित्त वर्ष 2015 की तुलना में सात फीसदी अधिक है. इसी तरह साल 2018 के अक्टूबर से दिसंबर महीने में इंफोसिस के 57 फीसदी, एचसीएल(43 फीसदी) और टीसीएस(37फीसदी) के लिए एच 1 बी वीजा आवेदन को रद्द किया गया.
वीजा शुल्क और अनुपालन लागत की बढ़ोतरी भी वीजा छंटनी की एक बड़ी वजह है.