तुर्की के स्थानीय चुनावों में एर्दोआन को जबरदस्त झटका


erdogan slips thier grip on turkey, opposition makes election gain

 

राजनीति में समय-समय पर इस बात के उदाहरण मिलते रहे हैं कि आम जनमानस को धर्म और लोकप्रिय बातों में ज्यादा दिनों तक उलझा कर नहीं रखा जा सकता. विकास और जनकल्याण ही लोकतांत्रिक राजनीति में अंतिम हल हैं. फिलहाल इसकी एक झलक तुर्की के स्थानीय चुनावों में देखने को मिली है. जहां राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन की जमीन खिसकती नजर आ रही है.

बीते साल हुए आम चुनावों में एर्दोआन प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आए थे, लेकिन एक साल से कम समय में ही उनकी लोकप्रियता में जबर्दस्त कमी आई है. तुर्की के राजनीतिक परिदृश्य से लगभग गायब हो चुका विपक्ष एक बार फिर से उठ खड़ा हुआ है और एर्दोआन की सत्ता को चुनौती दे दी है.

तुर्की के 30 शहर, की 51 नगरपालिका, और 922 जिलों में हुए चुनाव एक तरह से एर्दोआन के लिए रेफरेंडम थे. तुर्की की अर्थव्यवस्था इस समय खराब दौर से गुजर रही है.

राजधानी अंकारा में हुए चुनाव एक तरह से ऐतिहासिक थे. बीते 25 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब जनता ने इस्लामिक पार्टियों को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया है. इसके अलावा एर्दोआन का गृह क्षेत्र इंस्ताबुल भी इसी राह पर नजर आ रहा है.

एर्दोआन की पार्टी एकेएफ ने अंकारा को सेकुलर रिपब्लिकन पार्टी(सीएचएफ) के हाथों खो दिया. हालांकि इंस्ताबुल में अभी अंतिम तौर पर फैसला नहीं आया है. फिलहाल यहां एकेएफ और विपक्ष के उम्मीदवार ने बराबर वोटें हासिल की हैं. यहां कुल 98.8 फीसदी वोट की गिनती हुई है, जिसमें दोनों उम्मीदवारों ने 48.7 फीसदी मत प्राप्त किए हैं.

इसके बाद इंस्ताबुल में राजनीतिक गतिरोध पैदा हो गया. एकेएफ नेता एल्डरिम और एर्दोआन की तस्वीरों वाले पोस्टर दीवारों पर लगा दिए गए. इन पोस्टर में जनता को वोट करने के लिए धन्यवाद दिया गया है. उधर विपक्षी सीएचपी के उम्मीदवार इमामोग्लू ने भी खुद को इंस्ताबुल का मेयर घोषित कर दिया है.

तुर्की में सत्ताधारी पार्टी का ये हाल तब हुआ है जब उसने सभी सरकारी संसाधनों और मीडिया का जमकर अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल किया.

इसके अलावा एकेएफ पर वोटों में हेराफेरी करने का आरोप भी है. चुनावों के दौरान बड़े पैमाने पर विरोधियों को गिरफ्तार किया गया. कुर्दिश इलाकों में लोगों को चुनाव से पहले गिरफ्तार कर उन पर आतंकवाद विरोधी धाराएं लगाई गईं.

सीएचपी नेता ने कहा, “लोगों ने लोकतंत्र के समर्थन में वोट दिया है, उन्होंने लोकतंत्र चुना.”

तुर्की गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है. महंगाई चरम पर है और करेंसी लीरा की कीमत लगातार गिरावट की ओर है. देश में बड़े पैमाने पर शुरू किए गए निर्माण कार्य अधूरे होने की वजह से एर्दोआन को जनता की नाराजगी सरकार को झेलनी पड़ रही है.


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