पूर्व अधिकारियों ने कहा, नफरत की राजनीति के खिलाफ एकजुट हों देशवासी


 

बुलंदशहर मामले में पुलिस अधिकारी के हत्यारों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहने पर राज्य और केंद्र सरकार दोनों की चौतरफा आलोचना हो रही है. अब इस मामले में पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन और श्याम सरन सहित कुल 83 पूर्व नौकरशाहों ने एक खुला खत लिखा है. इस खत में नागरिकों से नफरत की राजनीति का खुलकर विरोध करने का आग्रह भी किया गया है.

खत में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे की मांग की गई है.अधिकारियों ने योगी को संबोधित करते हुए कहा, “घटना की गंभीरता और इसके सांप्रदायिक रुझान को नजरंदाज किया गया, हिंसा करने वालों की आलोचना करने या पुलिस को कार्रवाई के निर्देश देने के बजाय आपका ध्यान कथित गोहत्यारों पर था.”

सोशल मीडिया पर वायरल इस खत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी निशाना बनाया गया है. इस खत के माध्यम से आलोचना करने वालों में दिल्ली के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, अरुणा रॉय, हर्ष मंदर, प्रसार भारती के पूर्व कार्यकारी अधिकारी जवाहर सिरकार और योजना आयोग के पूर्व सचिव एनसी सक्सेना भी शामिल हैं.

प्रधानमंत्री की आलोचना करते हुए इस खत में कहा गया है, “हमारे प्रधानमंत्री, अपने चुनाव प्रचार के दौरान बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. वो ये कहते-कहते थक गए हैं कि वो सिर्फ संविधान के पुजारी हैं, लेकिन इस मुद्दे पर उन्होंने चुप्पी साध ली, जबकि उनके खुद के मुख्यमंत्री ने संविधान के साथ खिलवाड़ किया.”

बीते तीन दिसंबर को हुई इस घटना में एक पुलिस अधिकारी सुबोध कुमार और एक अन्य व्यक्ति की मौत हो गई थी. ये घटना कथित गोहत्या के बाद भीड़ की हिंसक कार्रवाई के बाद हुई थी.

इसमें इन पूर्व अधिकारियों ने नागरिकों से अनुरोध किया है कि वे नफरत और बंटवारे की राजनीति के खिलाफ एकजुट हो जाएं. खत में लोगों से आग्रह किया गया है कि लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर हमला करने वाली राजनीति का खुलकर विरोध करें.


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