अनुमान से अधिक बारिश, मौसम विभाग के नए मॉडल पर उठे सवाल


excess rain washes out imd's cfs model

 

इस बार के मानसून में सामान्य से अधिक बारिश हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 30 सितंबर को खत्म हुए मानसून में सामान्य से 10 प्रतिशत अधिक बारिश हुई, जबकि मौसम विभाग ने इस बार सामान्य से कम बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया था, जबकि गलती की संभावना पांच प्रतिशत रखी थी.

ऐसे में बारिश का पूर्वानुमान लगाने वाले मौसम विभाग के नए मानसून मिशन कपल्ड फॉरकास्ट मॉडल (सीएफएस) की क्षमता पर सवाल उठ रहे हैं. विश्लेषकों का कहना कि पिछले एक दशक में इस नए मॉडल का प्रदर्शन पुराने मॉडलों से कुछ ज्यादा बेहतर नहीं रहा है.

मौसम विभाग ने अपने सीएफएस मॉडल के आधार पर इस मानसून में एलपीए की 94 प्रतिशत बारिश होने का अनुमान लगाया था. अगस्त में इसे बढ़ाकर 99 प्रतिशत कर दिया गया था, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस मानसून में एलपीए की 110 प्रतिशत बारिश हुई है.

मौसम विभाग के एक्सटेंडेट रेंज प्रेडिक्शन मॉडल ने सामान्य से अधिक बारिश होने की चेतावनी दी थी. मौसम विभाग का यह मॉडल छोटी अवधि का मॉडल है और दो हफ्ते पहले पूर्वानुमान लगाता है. वहीं नए सीएफएस मॉलड को 1200 करोड़ की मानसून मिशन परियोजना के तहत विकसित किया गया है.

2012 से लेकर अब तक के मानसून की अगर बात करें तो सीएफएस मॉडल केवल दो बार (2013 और 2015 में) ही बारिश का ठीक पूर्वानुमान लगा पाया है.

पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेंटरोलॉजी के वैज्ञानिक के एस कृष्णन ने कहा, “जुलाई के मध्य में यह साफ हो गया था कि इंडियन ओशेन डाइपोल की वजह से अगस्त और सितंबर में बारिश में वृद्धि होगी. इसके बाद भी मौसम विभाग ने इसकी चेतावनी नहीं दी.”

एक अगस्त को मौसम विभाग ने कहा था कि अगस्त और सितंबर में 100 प्रतिशत बारिश होगी. विभाग ने गलती की संभावना आठ प्रतिशत रखी थी. लेकिन इन दोनों महीनों में 130 प्रतिशत बारिश हुई. यह 1983 के बाद से सर्वाधिक रही.

हालांकि, मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने स्वीकार किया है कि डायनिमकल मॉडल हिंद महासागर में होने वाले परिवर्तनों के आधार पर दो महीने पहले किसी भी तरह का पूर्वानुमान लगाने में अक्षम हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि एल नीनो के 18 महीने के चक्र के मुकाबले हिंद महासागर में परिवर्तन बहुत जल्दी होते हैं.

मौसम विभाग के क्लाइमेट फॉरकास्टिंग डिवीजन के प्रमुख डी एस पाई ने कहा, “सितंबर में हुई अतिरिक्त वर्षा निम्न दबाव के बनने से हुई. यह अचानक से विकसित हो गया. इसका पूर्वानुमान कुछ दिनों पहले नहीं लगाया जा सकता है.”


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