अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं एग्जिट पोल्स!


exit polls have lost their credibility

 

लोकसभा चुनाव का अंतिम चरण आज पूरा हो गया. मतदान प्रक्रिया पूरी होते ही तमाम एजेंसियों ने अपने-अपने एग्जिट पोल जारी कर दिए. ज्यादातर सर्वेक्षणों में एनडीए को बहुमत दिया गया. इंडिया टुडे एक्सिस ने एनडीए को 339 से 365 सीट मिलने की संभावना जताई. वहीं रिपब्लिक भारत जन की बात और टाइम्स नाऊ वीएमआर ने भी एनडीए को 300 से ऊपर सीट मिलने का अनुमान लगाया.

बीते कुछ समय में देखा गया है कि एग्जिट और ओपिनियन पोल्स ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है. एग्जिट पोल को लेकर आलोचनात्मक नजरिया रखने वालों का कहना है कि इनके द्वारा लगाए गए अनुमान किसी एक पक्ष में झुके हुए हो सकते हैं. वहीं विभिन्न राजनीतिक दल भी समय-समय पर यह कहते रहे हैं कि एग्जिट और ओपिनियन पोल्स उनके विरोधी उनके अपने वोटरों को प्रभावित करने के उद्देश्य से करवाते हैं.

अगर हम आंकड़ों और तथ्यों पर नजर डालें तो इस बात में बहुत सच्चाई नजर आती है कि इस तरह के पोल्स अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं. इस संदर्भ में 2004 का लोकसभा चुनाव याद करना सबसे जरूरी है.

2004 के लोकसभा चुनाव में लगभग सभी एग्जिट पोल्स ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के सत्ता में बने रहने का अनुमान लगाया था. आज तक ने अपने एग्जिट पोल में एनडीए को 248, यूपीए को 190 और निर्गुट को 105 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था. वहीं एनडीटीवी-इंडियन एक्सप्रेस— नील्सन ने एनडीए को 230 से 250, यूपीए को 190 से 205 और निर्गुट को 100 से 120 सीटें दी थीं.

स्टार न्यूज-सी वोटर्स ने एनडीए को 263 से 275, यूपीए को 174 से 186 और निर्गुट को 86 से 98 सीटें दी थीं. जी न्यूज ने एनडीए को 249, यूपीए को 176 और निर्गुट को 117 सीट मिलने का अनुमान लगाया था.

जब इस चुनाव का परिणाम आया तो इनमें से एक भी अनुमान सही साबित नहीं हुआ. एग्जिट पोल जहां एनडीए की सरकार बनवा रहे थे, जब परिणाम आया तो एनडीए को 187, यूपीए को 219 और निर्गुट को 137 सीटें मिलीं.

2004 के इन्हीं एग्जिट पोल्स के आधार पर बीजेपी की धमाकेदार जीत का अनुमान लगाया गया था. एग्जिट पोल आते ही प्रमोद महाजन को बधाइयां मिलने लगी थीं. इन बधाइयों पर उन्होंने कहा था, “दुर्भाग्यवश, हम एग्जिट पोल्स के आधार पर सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकते हैं. राष्ट्रपति को असली चुनाव परिणामों की जरूरत होगी.”

असल में एग्जिट पोल्स की पूरी संरचना ही गलत है. यह कुल वोट शेयर को सीटों में नहीं बदल सकता है. ऐसा करने के लिए इसे संसदीय क्षेत्र के स्तर पर सर्वेक्षण करना पड़ेगा. जमीन पर मतदाता के मनोभाव पूरी तरह से परिणाम में रिफ्लेक्ट नहीं होते हैं, सीट स्तर पर प्रत्येक चुनाव अत्यधिक रणनीतिक और सामरिक होता है. आप ऊपर-ऊपर से अंदाजा नहीं लगा सकते हैं. इसलिए कोई भी अगर एग्जिट पोल में कुल सटीक परिणाम की घोषणा करता है तो वह हद स्तर तक मायावी है.

2009 के लोकसभा चुनाव में एग्जिट पोल्स ने यूपीए की जीत का अनुमान लगाया था. लेकिन इस दौरान यूपीए को मिलने वाली सीटों को बहुत कम करके बताया गया. स्टार न्यूज ने यूपीए को 199 सीटें दी थीं. वहीं टाइम्स नाऊ और एनडीटीवी ने यूपीए को 198 और 216 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था. वहीं हेडलाइंस टुडे ने यूपीए को 191 सीटें दी थीं. कुलमिलाकर किसी भी सर्वेक्षण में यूपीए को 200 से ऊपर सीटें नहीं मिलीं.

इस चुनाव के असल परिणाम चौंकाने वाले रहे. एनडीए को जहां 159 सीटें मिलीं, वहीं यूपीए को 262 सीटें मिलीं. निर्गुट को 79 सीटें मिलीं. इस प्रकार 2004 की ही तरह एग्जिट पोल्स अपनी विश्वसनीयता को स्थापित नहीं कर पाए.

2014 में भी कमोबेश यही हाल रहा. इस चुनाव में सभी ने एनडीए की जीत का अनुमान लगाया, लेकिन असल आंकड़े से ज्यादातर सर्वेक्षण दूर ही रहे. इंडिया टुडे सी वोटर ने एनडीए को 289, यूपीए को 100 और निर्गुट को 153 सीटें दीं. सीएनएन आईबीएन- सीएसडीएस लोकनीति ने एनडीए को 270 से 282, यूपीए को 92 से 102 और निर्गुट 159 से 181 सीटें दीं.

जब चुनाव परिणाम आया तो एनडीए को 336, यूपीए को 59 और निर्गुट को 145 सीटें मिलीं. केवल न्यूज 24- चाणक्य ही इस आंकड़े के करीब पहुंच पाया. इसने अपने एग्जिट पोल में एनडीए को 340, यूपीए को 70 और निर्गुट को 133 सीटें दी थीं.

ऐसे ही 2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल्स बहुत बुरी तरह विफल साबित हुए थे. सारे कयासों को धता बताते हुए कांग्रेस ने दो तिहाई से भी अधिक सीटें जीती थीं.

2014 के बाद से हुए विधानसभा चुनावों को लेकर एग्जिट पोल्स बहुत ही कम विश्वसनीय साबित हुए हैं. इस दौरान विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं और एक्सिस, चाणक्य, सीएसडीएस और सी वोटर्स जैसी एजेंसियों के अनुमान पचास फीसदी भी सही साबित नहीं हुए हैं. सीएसडीएस के अनुमान शून्य पर ही सिमट गए हैं. वहीं चाणक्य और सी वोटर्स के अनुमान 25 और 15 फीसदी ही सही साबित हुए हैं. एक्सिस के अनुमान सबसे ज्यादा 38 फीसदी सही साबित हुए हैं.

असल में अब राजनीतिक दल इन पोल्स पर ज्यादा निर्भर नहीं रहते हैं. टीवी चैनल्स दर्शकों को बांधे रखने के लिए इनका सहारा लेते हैं. इन सबके सहारे उनकी टीआरपी आती है. सर्वे करने का इनकी क्रियाविधि बहुत ही भ्रामक होती है.

2019 के लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल्स को दिखाते हुए एबीपी न्यूज ने 8 बजे तक दिखाया कि एनडीए को 267 और यूपीए को 140 सीटें मिल सकती हैं. एबीपी न्यूज ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा-रालोद गठबंधन 56 सीटें जीत सकता है, वहीं बीजेपी को केवल 22 सीटें मिल सकती हैं. दो घंटे बाद एबीपी न्यूज ने यह आंकड़ा बदल दिया. नए आंकड़े में बताया गया कि एनडीए को 277 और यूपीए को 130 सीटें मिल सकती हैं. नए आंकड़े के तहत उत्तर प्रदेश में गठबंधन को 46 और बीजेपी को 32 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया. एबीपी न्यूज ने यह बदलाव किस आधार पर किया, यह साफ नहीं किया गया.


Big News