हेट सामग्री पर फेसबुक को EU की शीर्ष अदालत में बड़ा कानूनी झटका
यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने एक अहम मामले में फेसबुक के खिलाफ फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि “यूरोप के देशों की राष्ट्रीय अदालतें आनलाइन प्लेटफार्म कंपनी को नफरत फैलाने वाली सामग्री को दुनियाभर में उसके प्लेटफार्म से हटाने का आदेश दे सकती हैं.”
हालांकि मानव अधिकार कार्यकर्ता फैसले से चिंतित हैं. उनका कहना है कि कुछ देश आलोचनाओं को दबाने के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
एक बयान के मुताबिक यूरोपीय कोर्ट ने कहा है कि यूरोपीय संघ का कानून देशों की अदालतों को ‘दुनियाभर से किसी जानकारी को हटाने या उस तक पहुंच को रोकने’ का आदेश देने से नहीं रोकता है.
इस निर्णय को यूरोपीय संघ के नियामकों की जीत के तौर पर देखा जा रहा है. इससे अमेरिका की इन कंपनियों पर नियामकों को यूरोपीय मानकों के हिसाब से समाज को बांटने या घृणा फैलाने वाली सामग्री पर कार्रवाई करने में मदद मिलेगी.
पिछले सप्ताह हालांकि, यूरोपीय कोर्ट के ही एक फैसले को गूगल के लिए जीत के रूप में देखा जा रहा था. यूरोपीय संघ की शीर्ष अदालत ने ही व्यवस्था दी थी कि गूगल को यूरोपीय संघ के संबंधित कड़े नियम को वैश्विक स्तर पर लागू करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता.
यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस ने कहा, “फेसबुक और अन्य प्लेटफॉर्म को विश्व स्तर पर इस तरह का कांटेंट हटाने का निर्देश दिए जा सकता है, उन देशों में भी जहां इसे अवैध नहीं समझा जाता है.”
फेसबुक ने कोर्ट के आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि ये सोशल प्लेटफॉर्म का काम नहीं है कि वो संबंधित देश में अवैध कांटेंट पर नजर रखे, पता लगाए और उसको हटाए.
कंपनी ने कहा, “सिद्धांतों के अनुसार किसी एक देश के पास ये अधिकार नहीं है कि वो अपने नियम दूसरे देश पर थोपे. इससे ये भी होगा कि इंटरनेट कंपनियों से मांग की जाएगी कि वो कांटेंट पर निगरानी रखें और फिर ये पता लगाए कि क्या वो कांटेंट अवैध की श्रेणी में आता है.”
यूके के अधिकार समूह “अनुच्छेद 19” ने फेसबुक का बचाव किया. कार्यकारी निदेशक थॉमस ह्यूगस ने कहा, “इससे गलत संदेश जाएगा, जिसके तहत एक देश की कोर्ट ये तय कर सकेगी कि दूसरे देश में इंटरनेट यूजर क्या देखेंगे. इसका खुले आम गलत इस्तेमाल किया जाएगा, खासतौर पर उन देशों द्वारा जहां मानव अधिकारों का घोर हनन हुआ हो.”
दरअसल पूरा मामला ये था कि ऑस्ट्रिया में ग्रींस पार्टी की नेता इवा ग्लाविचनिग पीसचेक ने ऑस्ट्रिया की कोर्ट में फेसबुक को समन किया था.
2016 में ऑस्ट्रिया के फेसबुक यूजर्स ने प्रवास पर एक न्यूज लिंक शेयर किया था, जिसमें ग्लाविचनिग पीसचेक पर “lousy traitor of the people”, “corrupt oaf”और “fascist party” की सदस्य जैसे टिप्पणियां की गई थीं.
फेसबुक ने शुरुआत में ग्लाविचनिग पीसचेक की मांग पर संबंधित सामग्री हटाने से मना कर दिया.
ग्लाविचनिग पीसचेक ऑस्ट्रिया में फेसबुक को सफलापूर्वक समन करने में कामयाब रहे और उन्होंने मांग की कि फेसबुक उन सभी पोस्ट को हटाए. इसके बाद ऑस्ट्रिया की सुप्रीम कोर्ट ने मामला यूरोपियन कोर्ट में भेज दिया. यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस के फैसले के खिलाफ गुहार नहीं लगाई जा सकती है.