नहीं होगा डीयू छात्र संघ का दोबारा चुनाव


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दिल्ली पुलिस ने डीयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंकिव बैसोया के खिलाफ फर्जी डिग्री जमा करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है. डीयू का कहना है कि चुनावों के दो महीने बाद पद से इस्तीफा देने के कारण दोबारा चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं.

दिल्ली हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान डीयू ने जस्टिस योगेश खन्ना को बताया कि लिंगदोह समिति के दिशा निर्देशों के अनुसार नए चुनाव केवल तभी कराए जा सकते हैं जब परिणामों की घोषणा के दो महीनों के भीतर पद खाली हो गया हो.

अंकिव के निर्वाचन को चुनौती देने वाले एनएसयूआई के नेता सन्नी छिल्लर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने कहा कि जब डिग्री फर्जी पाई जाती है तो नामांकन अपने आप ही अवैध हो जाता है और इसलिए इस मामले में फिर से चुनाव कराए जाने के लिए दो महीने की अवधि लागू नहीं होगी.

डीयू की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) पिंकी आनंद ने अदालत को बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) अध्यक्ष का पद 14 नवंबर को खाली हुआ था और दो महीने की अवधि 13 नवंबर को समाप्त हुई थी क्योंकि चुनाव परिणाम 13 सितंबर को घोषित किए गए थे.

उन्होंने कहा कि एक बार दो महीने की अवधि गुजर जाने पर दोबारा चुनाव नहीं कराए जा सकते. डूसू उपाध्यक्ष को अध्यक्ष घोषित करने के लिए स्वतंत्र है.

चिदंबरम ने कहा कि डीयू को दाखिले और चुनावों में नामांकन के समय अंकिव के प्रमाण पत्र की सही तरह जांच करनी चाहिए थी.

एएसजी पिंकी ने कहा कि तिरुवल्लुवर विश्वविद्यालय से लेटर मिलने के बाद 14 नवंबर को डीयू ने अंकिव को अध्यक्ष पद के लिए अयोग्य बताया था. लेटर से साफ हो गया था कि अंकिव की डिग्री फर्जी है.

अंकिव बैसोया फर्जी डिग्री मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.


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