फिच ने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 5.5 फीसदी किया


industrial output decreased while retail inflation rate rises

 

रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है. फिच की ओर से जारी बयान में कहा गया कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट के कारण कर्ज देने में कमी से आर्थिक वृद्धि दर छह साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है.

फिच ने इस साल जून में 2019-20 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कंपनी कर की दरों में कटौती समेत सरकार के हाल के उपायों से धीरे-धीरे आर्थिक वृद्धि में तेजी आएगी.

रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में 6.1 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान लगाया है.

फिच ने कहा कि अगले वित्त वर्ष (2020-21) में जीडीपी वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2021-22 6.7 में प्रतिशत रहने की संभावना है.

भारत की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में घटकर पांच प्रतिशत पर आ गई जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में यह आठ प्रतिशत थी. यह 2013 के बाद किसी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर का न्यूनतम स्तर है.

फिच ने कहा, ”अर्थव्यवस्था में कमजोर व्यापक है. घरेलू व्यय के साथ विदेशों से भी मांग कमजोर हो रही है. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में संकट के कारण कर्ज उपलब्धता में कमी से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

उल्लेखनीय है कि इस महीने की शुरुआत में मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर अनुमान 6.2 प्रतिशत से घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया था. उसका कहना था कि विभिन्न दीर्घकालीन कारणों से अर्थव्यवस्था में नरमी है.


Big News