कथित फेक न्यूज फैलाने के आरोप में पांच पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर
कथित फेक न्यूज फैलाने के आरोप में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 6 सितंबर को बिजनौर में पांच पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. इन पांच पत्रकारों में दो की पहचान आशीष तोमर और शकील अहमद के रूप में बिजनौर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में जाहिर की गई है. एक पत्रकार स्थानीय अखबार में काम करता है, जबकि दूसरा एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल के साथ जुड़ा है.
एफआईआर में कहा गया है कि दोनों पत्रकारों ने तितरवाला गांव में रहने वाले एक ‘वाल्मीकि परिवार’ के घर के बारे में फेक न्यूज फैलाकर समाजिक मेल-जोल को तोड़ने की कोशिश की. कहा गया है कि दोनों पत्रकारों ने वाल्मीकि परिवार को उसी गांव के एक प्रभावशाली दलित परिवार द्वारा हैंडपंप से पानी भरने की इजाजत ना दिए जाने के बाद, उनके घर को बिक्री के लिए उपलब्ध होने की गलत सूचना फैलाई.
पुलिस ने बताया कि हैंडपंप से पानी भरने की इजाजत ना दिए जाने का मामला पुलिस और गांव के प्रधान द्वारा सुलझा दिया गया था. पुलिस ने आरोप लगाया कि एक पत्रकार ने ही स्थानीय प्रशासन की छवि खराब करने के इरादे से दीवार पर वाल्मीकि परिवार के गांव छोड़कर जाने की बात लिखी.
एफआईआर में गोपाल वाल्मीकि की पत्नी लोकेश देवी का बयान शामिल किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि एक पत्रकार ने ही उनसे दीवार पर घर के बिक्री के लिए उपलब्ध होने की बात लिखने को कहा. जब लोकेश देवी ने कहा कि वे अनपढ़ हैं तो उसी पत्रकार ने एक लकड़ी और कोयला पाउडर की सहायता से दीवार पर घर के बिक्री के लिए उपलब्ध होने की बात लिख दी.
पत्रकारों पर आईपीसी की धारा 153-ए (विद्वेष के बढ़ावा देने), 268 (उपद्रव) और 503 (आपराधिक धमकी) देने के साथ आईटी एक्ट की धारा 66-ए के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.
वहीं दूसरी तरफ पत्रकार अपनी स्टोरी को लेकर पूरी तरह अडिग हैं. सात सितंबर को स्थानीय पत्रकारों ने पुलिस पर आरोप लगाया कि पत्रकारों को तथ्यात्मक रिपोर्टिंग करने के लिए निशाना बनाया गया.
एक स्थानीय अखबार के साथ जुड़े एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, “पत्रकार ने अपनी स्टोरी के लिए बयान रिकॉर्ड किया है. पुलिस ने वाल्मीकि परिवार पर दबाव बनाकर झूठा मामला दर्ज करवाया है. देर रात, वरिष्ठ अधिकारियों ने आश्वस्त किया है कि पत्रकारों के खिलाफ दर्ज एफआईआर वापस ले ली जाएगी.”