राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए बंदियों की रिहाई जरूरी: फारूक अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने राज्य में कोई भी राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने के लिए अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद से हिरासत में लिए गए और नजरबंद किए गए सभी लोगों की बिना शर्त रिहाई की मांग रखी है.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक प्रतिनिधिमंडल की छह अक्टूबर को फारूक अब्दुल्ला से हुई मुलाकात के बाद सोमवार को पार्टी ने एक बयान में यह बात कही.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष ने शिष्टमंडल से कहा कि राज्य के लोगों ने विशेष दर्जा समाप्त किए जाने और राज्य को दो हिस्से में बांटे जाने पर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध जता दिया है और पार्टी इन भावनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकती है.
छह अक्टूबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस के 15 सदस्यीय शिष्टमंडल को पहली बार पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला से मिलने की अनुमति दी गई थी.
प्रवक्ता ने कहा, “बंदी बनाए गए नेताओं ने प्रतिनिधिमंडल को यह स्पष्ट कर दिया गया था कि कोई भी राजनीतिक प्रक्रिया तब तक नहीं हो सकती है जब तक कि भारत सरकार द्वारा सीधे कुछ कार्रवाई नहीं की जाती है.”
राज्य में प्रखंड विकास परिषद् (बीडीसी) के चुनाव 24 अक्टूबर को होने हैं और पार्टी ने कहा है कि अगर उसके नेताओं को हिरासत में रखा जाता है तो वह इस चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएगी.
प्रवक्ता ने कहा कि पार्टी नेताओं द्वारा रखी गई मांगों में झूठे आधार” पर गिरफ्तार सभी राजनीतिक बंदियों, व्यापारियों, नागरिक समाज के सदस्यों की रिहाई की मांग शामिल है.
उन्होंने सभी छात्रों और बच्चों को रिहा करने की मांग की, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और विभिन्न जेलों या पुलिस स्टेशनों में हिरासत में रखा गया है.