मनमोहन सिंह को मिलने वाला एसपीजी घेरा हटा, Z+ सुरक्षा बरकरार


nationalsim and bharat mata ki jay are used to create militant idea of India says Manmohan Singh

 

केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मिलने वाले विशेष सुरक्षा समूह (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप-एसपीजी) को हटा लिया है. अब पूर्व प्रधानमंत्री को केवल Z+ सुरक्षा दी जाएगी.

गृह मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि वर्तमान सुरक्षा घेरा की समीक्षा सुरक्षा एजेंसियों ने की है. और यह फैसला पूरी तरह से प्रोफेशनल आधार पर है. मंत्रालय ने कहा है कि निर्धारित समय के बाद सुरक्षा व्यवस्था का आंकलन किया जाता है. यह प्रक्रिया सामान्य है, और इसके तहत ही सुरक्षा घटाने या बढ़ाने का निर्णय लिया जाता है.

Z+ सुरक्षा का उच्चतम स्तर है. इसके अलावा एसपीजी घेरा देश के वीवीआईपी लोगों को दी जाती है. इसमें पूर्व और वर्तमान के प्रधानमंत्री शामिल हैं. Z+ सुरक्षा में 55 सुरक्षाकर्मी होते हैं.

इस फैसले का मतलब है कि अब एसपीजी के 3,000 सुरक्षा अधिकारी जो प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार वालों के लिए होते थे, अब वे केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनकी बेटी और बेटा प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी को मिलेगी.

इस वर्ष 25 मई को सरकार ने एसपीजी का नए सिरे से नवीकरण करने के बजाए तीन महीने के लिए समीक्षा करने का फैसला किया था, जो रविवार 25 अगस्त को पूरा हो गया था.

एसपीजी का गठन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद वर्ष 1985 में हुआ था. संसद ने वर्ष 1988 में एसपीजी अधिनियम पारित किया था. इसका मकसद देश के प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा करना था.

उस वक्त अधिनियम में पूर्व प्रधानमंत्रियों को सुरक्षा देने का प्रावधान नहीं था. वर्ष 1989 में वीपी सिंह की सरकार आने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकारी सुरक्षा को वापिस ले लिया था. वर्ष 1991 में राजीव गांधी की हत्या होने के बाद अधिनियम में संशोधन किया गया था. इसमें कम से कम 10 सालों तक के लिए सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार वालों को एसपीजी सुरक्षा देने की बात कई गई थी.

वर्ष 1999 में वाजपेयी सरकार आने के बाद एसपीजी संचालन को लेकर बड़ी समीक्षा की गई थी. इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, एचडी देवेगौड़ा और आईके गुजराल की एसपीजी सुरक्षा वापिस ले ली गई थी.

वर्ष 2003 में वाजपेयी सरकार ने भी अधिनियम में संशोधन किया था. इस संशोधन में पद से हटने के बाद 10 सालों तक सुरक्षा मिलने के बजाय एक साल तक सुरक्षा देने का प्रावधान तय किया गया था. इसके अलावा केंद्र सरकार के तय किए गए खतरे के आधार पर एक वर्ष से अधिक सुरक्षा दिए जाने की बात कही गई थी.

हालांकि, अटल बिहारी वाजपेयी अपने पद से 2004 को हटे थे और 2018 में उनकी मृत्यु होने तक उन्हें एसपीजी सुरक्षा मिलती रही थी.


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