बीपीसीएल समेत पांच पीएसयू में सरकार की पूरी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी


 

देश की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी भारतीय पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) के विनिवेश को मंजूरी मिल गई है. सरकार ने सचिवों के साथ हुई बैठक में पांच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के विनिवेश की मंजूरी दी. बीपीसीएल के अलावा नीपको, शिपिंग कॉरपोरेशन, टिहरी हाइड्रो में भी सरकार की पूरी हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दी गई है.

सरकार का दावा है कि विनिवेश से कॉरपोरेट गवर्नेंस बेहतर होगा और कंपनी का इस्तेमाल ज्यादा बेहतर तरीके से किया जा सकेगा. बीपीसीएल की पूरी हिस्सेदारी निजी कंपनियों को सौंपी जाएगी. इसके साथ ही कंपनियों को विदेशी निवेशकों के हाथ में भी बेचने का विकल्प खुला रहेगा.

बीपीसीएल में सरकार की लगभग 53.3 फीसदी हिस्सेदारी है और इस बिक्री पर जल्द ही कैबिनेट की औपचारिक अनुमति मिल सकती है. वहीं, कंटेनर कॉरपोरेशन कॉन्कोर में 30 फीसदी हिस्सा बेचने को मंजूरी दी गई है.

बीपीसीएल के विनिवेश से ईंधन के खुदरा बाजार में न केवल बड़ी हलचल हो सकती है बल्कि इससे चालू वित्त वर्ष में 1.05 लाख करोड़ के विनिवेश का एक तिहाई लक्ष्य हासिल करने में भी मदद मिलेगी.

बीपीसीएल का बाजार पूंजीकरण 27 सितंबर को बाजार बंद होने के समय 1.02 लाख करोड़ रुपये था. इस लिहाज से कंपनी में सिर्फ 26 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने पर सरकार को 265 हजार करोड़ रुपये के अलावा नियंत्रण एवं बाजार प्रवेश प्रीमियम के रूप में 5,000 से 10,000 करोड़ रुपये तक मिलेंगे.

सरकार को ज्यादातर राजस्व बीपीसीएल से आएगा जो 54,342 करोड़ रुपए है.

हालांकि बीपीसीएल में विनिवेश के लिए कानून में बदलाव की आवश्यकता होगी क्योंकि यह कंपनी अधिनियम के तहत 1976 में बर्मा शेल के राष्ट्रीयकरण के बाद बनाया गया था.

हाईकोर्ट ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) का निजीकरण सरकार द्वारा कानून में संशोधन के बाद ही किया जा सकता है. संसद ने ही पूर्व में दोनों कंपनियों के राष्ट्रीयकरण के लिए कानून पारित किया था.

सरकार चार कंपनियों में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है, लेकिन कॉनकोर में यह 30 प्रतिशत की हिस्सेदारी सरकार के लिए बोझ बन रही है. कंपनी में इसका 54.80 फीसदी हिस्सा है.

सरकार के पास एससीआई में 63.75 फीसदी और इसकी हिस्सेदारी की बिक्री 1,282.7 करोड़ रुपये होगी. कॉनकोर में 30 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री से सरकार को 6,056 करोड़ रुपये मिलेंगे.

सरकार ने विनिवेश से अब तक 12,357.49 करोड़ रुपये जुटाए हैं.


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