नागरिक संशोधन बिल के विरोध में कांग्रेस सहित चार विपक्षी पार्टियां


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कांग्रेस सहित चार विपक्षी पार्टियों ने ‘नागरिक संशोधन बिल 2016’ पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर असहमति जताई है. विरोध करने वाली पार्टियों में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया(मार्क्सवादी) शामिल हैं.

संशोधित बिल में पाकिस्तान से आने वाले छह अल्पसंख्यक समुदायों को भारत की नागरिकता देने का प्रस्ताव है. विपक्षी दल धर्म और राष्ट्र के आधार पर नागरिकता दिए जाने का विरोध कर रहे हैं. असम से आने वाले लोकसभा सदस्य भी इस संशोधन के विरोध में हैं.

बिल के लागू होने पर मार्च 1971 के बाद से बांग्लादेश से असम पहुंचे लोगों को नागरिकता मिल जाएगी. ज्यादातर गैर कानूनी बांग्लादेशी प्रवासी साल 1971 के बाद से यहां पहुंचे हैं. यह असम समझौता 1985 का उल्लंघन भी होगा.

विपक्षी दलों के सदस्यों के विरोध के बावजूद समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद राजेन्द्र अग्रवाल ने बिल में कोई बदलाव किए बिना उसे आगे बढ़ा दिया है.

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने विरोध करते हुए कहा कि यह भारतीय समाज के आधारभूत मूल्यों के खिलाफ है. उन्होंने कहा, “हम धर्मनिरपेक्षता के समर्थन में खड़े हैं, और यह बिल हमारे समाज के आधारभूत मूल्यों के खिलाफ है.”

समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली ने भी डिसेंट नोट दिया है. उन्होंने कहा कि बिल के माध्यम से बीजेपी भारत को हिन्दू राष्ट्र दिखाने की कोशिश कर रही है.

हालांकि समिति के अध्यक्ष राजेन्द्र अग्रवाल कहते हैं, “सभी सदस्यों को डिसेंट नोट देने का अधिकार है. हमने एक राय बनाने की कोशिश की थी. लेकिन यह पेचीदा मामला है और सभी सदस्य अलग-अलग राय रखते हैं. सदस्यों की वोटिंग के बाद बहुमत की राय को माना गया है.”

हालांकि कुछ सदस्य मानते हैं कि पिछले दस दिनों में इस मामले में तीन बार बैठक हो चुकी है. बिल को अंतिम रूप देने के लिए अध्यक्ष पर दबाव था. हालांकि अध्यक्ष राजेन्द्र अग्रवाल इससे इंकार करते हैं. उन्होंने सफाई में कहा कि वह बिल को टालने की स्थिति में नहीं थे.


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