गुरुग्राम घटना की आलोचना कर अपनी ही पार्टी के लोगों से घिरे गंभीर
गुरुग्राम में पारंपरिक टोपी पहनने के लिए एक 25 वर्षीय मुस्लिम युवक की पिटाई को अपने ट्वीट के जरिए ‘खतरनाक’ बताने के बाद पूर्वी दिल्ली से बीजेपी के नवनिर्वाचित सांसद और पूर्व क्रिकेट गौतम गंभीर खुद अपनी ही पार्टी के लोगों से घिरते नजर आ रहे हैं.उन्होंने अपने ट्वीट में अधिकारियों से इस मामले में कार्रवाई करने को कहा था.
गंभीर अपने इस ट्वीट के लिए सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हुए और लोगों ने उन पर इस मामले पर एकतरफा प्रतिक्रिया करने का आरोप लगाया. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक़, स्वयं बीजेपी में कुछ नेता उनके इस ट्वीट से असहमत हैं. उनकी नाराजगी का कारण ये भी है कि हरियाणा में अब से कुछ ही महीनों बाद विधान सभा चुनाव हैं.
बीजेपी प्रवक्ता तेंजिंदर पाल सिंह बग्गा ने इस मामले में गंभीर के रुख से ट्वीट अपनी असहमति दर्ज कराई. उन्होंने ट्वीट किया, “कुछ लोग गुरुग्राम में आपसी बहस के मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं. हर लड़ाई को हिंदू-मुस्लिम के नजरिए से देखना देश को बांटने की राजनीति है. मुस्लिम पक्ष के तरफ से जो कॉल पुलिस को किया गया था, उसमें हिंदू-मुस्लिम की कोई बात नहीं की गई. बाद में इसे हिंदू-मुस्लिम रंग दे दिया गया.”
दिल्ली के बीजेपी प्रुमख मनोज तिवारी ने भी लगभग बग्गा की बात दोहराते हुए कहा, “हम हमारे प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ सबका विकास’ के वादे में यकीन रखते हैं. इस मामले में मैं इतना ही कहूंगा कि पुलिस को जांच करनी चाहिए और सच का पता लगाना चाहिए. हालांकि मैं लोगों को सावधान करना चाहता हूं कि अब हमारी पार्टी सत्ता में है इसलिए एक वर्ग के लोग चीजों को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करेंगे. लोगों को सावधान रहना चाहिए और इस तरह की चीजों में नहीं फंसना चाहिए.”
वहीं दिल्ली में बीजेपी के उपाध्यक्ष राजीव बब्बर ने कहा, “यह एक सामान्य ट्वीट है जिसमें अधिकारियों से कार्रवाई की जाने की बात कही गई है. लोग इस ट्वीट को कुछ ज्यादा समझ रहे हैं.”
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गंभीर को इस तरह का ट्वीट करने से बचना चाहिए था क्योंकि जांच की प्रक्रिया अभी चल रही है. उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणी विपक्ष को राज्य सरकार पर निशाना साधने का मौका देती है.
गौतम गंभीर ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा, “मैं एक क्रिकेटर हूं और आलोचनाएं मेरे लिए नई नहीं हैं. मैं एक ऐसे खेल से जुड़ा हूं जो उसूलों पर चलता है, मैं भी उसूलों पर जीता हूं. झूठ के पीछे छिपने से बेहतर सच बोलना है. मैं प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास’ में यकीन रखता हूं. जब लोग सुरक्षित महसूस ही नहीं करेंगे तो आप उनका भरोसा कैसे जीत पाएंगे? मेरी सोच सिर्फ गुरुग्राम घटना तक सीमित नहीं है. लिंचिंग, घृणा, नफरत और किसी भी तरह के उत्पीड़न पर भी मेरा यही विचार है.”