जर्मनी की रक्षा मंत्री यूरोपियन कमीशन के अध्यक्ष पद के लिए नामित हुईं


German Defence Minister Ursula von der Leyen nominated for EU Commission president

  ट्विटर

जर्मनी की रक्षा मंत्री अरसुला वॉन डर लियन यूरोपियन कमीशन के अध्यक्ष पद के लिए नामित की गई हैं. नामांकन के बाद अब उनके नाम पर यूरोपियन संसद में चर्चा होगी, जहां सहमति मिलने के बाद इस पद पर उनका आधिकारिक रूप से चयन हो जाएगा.

इससे पहले इस पद पर नामांकन के लिए यूरोपीय यूनियन के सदस्य देशों के नेताओं बीच बहुत लंबी बातचीत हुई. जिसके बाद अरसुला का चयन किया गया. वे जीन क्लाउड जंकर का स्थान लेंगी.

यूरोपीय यूनियन काउंसिल ईयू के सभी 28 नेताओं से मिलकर बनी है. अरसुला के चयन से पहले उनके नाम को लेकर काउंसिल में जमकर बहस हुई. इस पद पर चयन के बाद वे ईयू काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स माइकल, ईयू विदेश नीति प्रमुख जोसेफ बोरेल फॉन्टेल्स और यूनियन की सेंट्रल बैंक प्रमुख क्रिस्टीन लेगार्ड के साथ काम करेंगी.

अरसुला के चयन के साथ ही एक बात साफ हो गई है कि ईयू के सभी उच्च पदों पर यूरोपियन पीपुल्स पार्टी के नेता ही आसीन होंगे.

इससे पहले मई के महीने में ईयू के चुनाव हुए थे. जहां सेंटर-राइट पीपुल्स पार्टी को सबसे ज्यादा वोट मिले थे. लेकिन ये देखना महत्वपूर्ण होगा कि ईयू संसद उस नेता का स्वागत कैसे करती है कि जो कि सर्वोच्च नेता नहीं है.

आगे क्या होगा?

ईयू संसद को अरसुला के नाम को विशेष बहुमत के साथ पारित करना होगा. जो कि संसद के आधे सदस्यों में से एक अधिक होता है.

अगर इस दौरान अरसुला को जरूरी मत नहीं मिलते हैं, तब उनके नाम को वापस लौटा दिया जाएगा. इसके बाद यूरोपियन काउंसिल के नेता एक महीने के भीतर नए नाम को संसद के समक्ष भेजेंगे.

कौन हैं अरसुला वॉन डर लियन?

एक समय अरसुला जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल की उत्तराधिकारी मानी जा रहीं थी. इसके बाद में 2013 में देश की पहली महिला रक्षा मंत्री चुनी गईं. तब से वे इस पद पर मौजूद हैं.

राजनीति में प्रवेश करने से पहले वे एक राजनयिक थीं. 43 साल की उम्र में उन्होंने राजनीति में पदार्पण किया. अरसुला का जन्म ब्रसेल्स में हुआ था, उनके पिता यूरोपियन कमीशन के महानिदेशक के साथ और भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके थे.

60 साल की अरसुला को मर्केल का नजदीकी माना जाता है. 1990 में पार्टी में शामिल होने के बाद से वे कई स्थानीय राजनीतिक पदों पर रहीं हैं. वे पेशे से एक चिकित्सक और शोधकर्ता भी हैं.

2003 में उनका चयन सैक्सोनी संसद के निचले सदन में हुआ, जहां उनको कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर शामिल किया गया.

अरसुला का नाम विवादों से परे नहीं रहा है. साल 2015 में उनके शोध को लेकर सवाल उठे. इस दौरान उन पर साहित्यिक चोरी के आरोप लगे. जो बाद में गलत साबित हुए.


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