सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए मंत्री समूह का गठन किया


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सरकार ने दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विकास, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को देखने के लिए एक मंत्री समूह (जीओएम) का गठन किया.

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे.

केंद्र ने गत पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने का फैसला किया था.

बताया जा रहा है कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस समूह में शामिल हैं.

समूह जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दों को देखेगा.

कहा जा रहा है कि मंत्री समूह दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में उठाए जाने वाले विभिन्न विकास, आर्थिक और सामाजिक कदमों के बारे में सुझाव देगा.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 के तहत दो केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे. संसद ने इस महीने कानून को मंजूरी दी थी.

जीओएम की पहली बैठक सितंबर के पहले सप्ताह में होगी.

जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने और वहां जल्द से जल्द स्थिति को सामान्य बनाने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए 27 अगस्त को कम से कम 15 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सचिवों ने बैठक की थी.

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि बैठक में स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन और शुरू की जाने वाली पहलों का आकलन किया गया.

अधिकारी ने कहा कि मंगलवार की बैठक में दोनों प्रदेशों में संपत्ति और श्रमशक्ति के बंटवारे और विकास कार्यक्रमों को लेकर प्रमुखता से चर्चा की गई.

उन्होंने बताया कि दोनों प्रदेशों, खासकर लद्दाख क्षेत्र में आवश्यक वस्तुओं के भंडारण के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर भी चर्चा की गई.


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