क्रीमी लेयर की सीमा बढ़ाने की तैयारी में सरकार


government planning to raise creamy layer ceiling

  PIB

केंद्र सरकार ओबीसी समुदाय को दिए जाने वाले आरक्षण में क्रीमी लेयर की सीमा आठ लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने के सुझावों पर विचार कर रही है.

हालिया आरक्षण नियमों के मुताबिक प्रति वर्ष आठ लाख से अधिक कमाने वाले ओबीसी समुदाय के लोग क्रीमी लेयर की श्रेणी में आते हैं. वहीं आठ लाख से कम कमाई करने वाले ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर की श्रेणी में आते हैं, जिन्हें सरकारी नौकरी और शैक्षिण संस्थानों में ओबीसी आरक्षण के तहत 27 फीसदी आरक्षण दिया गया है. 1993 में जारी किए गए सरकारी आदेश के मुताबिक क्रीमी लेयर इनकम कट-ऑफ में कृषि से होने वाली आय को शामिल नहीं किया गया है.

द टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक सरकार क्रीमी लेयर की इनकम कट-ऑफ बढ़ाकर 20 लाख करने पर विचार कर रही है. माना जा रहा है कि यह कदम नौकरी और शैक्षिण संस्थानों में प्रतियोगिता बढ़ने के उद्देश्य से उठाया जा रहा है.

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के पूर्व चेयरमैन रिटायर्ड जस्टिस वी ईश्वरैय्या ने बताया, “ये सीमा बढ़ाकर 20 लाख करना सही है. एनसीबीसी का चेयरमैन रहते हुए मैंने ये सुझाव दिया था. इससे ओबीसी समुदाय के ज्यादा से ज्यादा लोग आरक्षण का फायदा उठा पाएंगे.”

सरकारी सूत्रों के मुताबिक सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने बीते हफ्ते ही केंद्रीय मंत्रायलों से इस प्रस्ताव पर सुझाव मांगे हैं. इससे पहले ओबीसी और एनसीबीसी पर बनी संसदीय समितियों ने भी कट-ऑफ इनकम बढ़ाने के सुझाव दिए थे.

उनका कहना था कि 1993 में आरक्षण लागू होने के बाद से विभिन्न सराकरी विभागों और संस्थाओं में ओबीसी समुदाय का प्रतिनिधित्व 27 फीसदी की लक्षित सीमा से नीचे रहा है. अधिकतर मामलों में ये 16 फीसदी तक ही रहा.

ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर मंडल कमीशन केस में सुप्रीम कोर्ट के 1992 के आदेश के बाद लाया गया था. कोर्ट ने अपने आदेश में आरक्षण की मान्यता को बरकरार रखा था लेकिन लेकिन साधन संपन्न लोगों (क्रीमी लेयर) को आरक्षण से बाहर रखने के निर्देश दिए थे.

नियमों के अनुसार सरकार को हर तीन साल में क्रीमी लेयर की अधिकतम सीमा संशोधित करनी होती है. लेकिन साल 1993 के बाद से अब तक इसमें केवल चार बार ही संशोधन किए गए हैं. पिछली बार सीमा में संशोधन साल 2017 में किया गया था. एक अधिकारी ने बताया कि जरूरत होने पर सरकार तीन साल से पहले भी इस सीमा में संशोधन कर सकती है.


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