सरकार और आरबीआई विवाद में विशेषज्ञों की कमिटी बनेगी
सरकार और आरबीआई के बीच हुए महत्वपूर्ण बैठक में विशेषज्ञों की एक कमिटी बनाने का फैसला लिया गया है. यह आर्थिक पूंजी ढांचा यानि कि ईसीएफ सहित अन्य विवादित मुद्दों पर राय देगी. इसके सदस्यों और आगे की रणनीति केन्द्र सरकार और आरबीआई मिलकर तय करेंगे.
हाल में रिजर्व बैंक और सरकार को लेकर मतभेद को दूर करने और आगे की पॉलिसी तय करने के लिए इस बैठक का आयोजन किया गया था.
रिजर्व बैंक के मिंट रोड स्थित मुख्य कार्यालय में हुई बैठक में गवर्नर सहित दूसरे सदस्य शामिल हुए थे.
आरबीआई में 18 सदस्य होते हैं जिनमें डिप्टी गवर्नर, सरकार की ओर से नियुक्त आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग और वित्त सेवा के सचिव राजीव कुमार सहित एस गुरुमुर्ति और सतीश मराठे शामिल हुए थे.
मीटिंग में एमएसएमई क्रेडिट से लेकर रिजर्व बैंक के रिजर्व सहित कई दूसरे मुद्दों पर बातचीत होनी थी.
आरबीआई और सरकार के बीच तनाव की शुरुआत तब हुई थी जब सरकार ने रिजर्व बैंक से 3.20 लाख करोड़ रुपये बैंक के रिजर्व से सरकार को देने को कहा था. यह रिजर्व बैंक की सुरक्षित पूंजी भंडार की एक-तिहाई रकम है.
रिजर्व बैंक यह रकम सरकार को देने को राजी नहीं है. रिजर्व बैंक के गर्वनर उर्जित पटेल ने इसे रिजर्व बैंक की स्वायत्तता पर हमला भी बताया है. दरअसल सरकार आरबीआई एक्ट की धारा 7 का उपयोग कर यह रकम रिजर्व बैंक से लेना चाहती है.
मौजूदा सरकार का यह मानना है कि यह रिजर्व अन्य केंद्रीय बैंकों की तुलना में अधिक है. आरबीआई की कुल संपत्ति में आरक्षित रिजर्व का कुल हिस्सा 26.8 फीसदी है, जबकि कई कंद्रीय बैंकों पर किए गए अध्यन में पता चलता है कि यह चौदह फ़ीसदी है.
31 मार्च, 2018 को आरबीआई के कुल रिजर्व की बात करें तो करंसी, गोल्ड रिजर्व, संपत्ति विकास फंड, आरक्षित पूंजी, आकस्मिक निधि आदि मिलकार कुल 9.60 लाख करोड़ रुपये है.