राफेल दस्तावेज चोरी: ‘द हिंदू’ नहीं करेगा सूत्रों का खुलासा
राफेल मुद्दे पर तमाम राजनीतिक और न्यायिक उठापटक के बाद अब विमानों की खरीद से जुड़े दस्तावेज चोरी होने की बात सामने आई है. ये बात सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट को बताई है. इस दौरान सरकार की ओर से द हिंदू समाचार पत्र पर इन दस्तावेजों को प्रकाशित करने को लेकर कार्रवाई की धमकी भी दी गई है. उधर द हिंदू की ओर से बयान जारी किया गया है कि वो सूत्रों का खुलासा किसी भी कीमत पर नहीं करेगा.
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा कि समाचार पत्र ने चोरी के दस्तावेज प्रकाशित किए हैं. इसलिए पत्र ‘गोपनीयता कानून’ के तहत दोषी है. वेणुगोपाल ने समाचार पत्र पर न्यायालय की अवमानना का भी आरोप लगया. अटार्नी जनरल ने कहा कि इस मामले में जांच चल रही है.
दूसरी ओर द हिंदू समूह के चेयरमैन एन राम ने कहा है कि समाचार पत्र किसी भी कीमत पर सूत्रों का खुलासा नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि राफेल सौदे से जुड़े दस्तावेज जनहित में प्रकाशित किए गए.
एन राम ने कहा कि दस्तावेज छापे जाने जरूरी थे क्योंकि ब्योरा छिपाकर रखा गया था.
कानूनी प्रावधान के मुताबिक चोरी के दस्तावेज पर आधारित आलेख प्रकाशित करना सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन है. इसके लिए अधिकतम 14 साल की कैद की सजा हो सकती है. वहीं अवमानना कानून के तहत छह महीने की जेल और 2000 रूपये का जुर्माना भी हो सकता है.
एन राम ने पत्रकारों से कहा, ‘‘आप इसे चोरी हो गए दस्तावेज कह सकते हैं. हम इसको लेकर चिंतित नहीं हैं. हमें यह गुप्त सूत्रों से मिला था और हम इन सूत्रों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. कोई भी इन सूत्रों के बारे में हमसे कोई सूचना नहीं पाने जा रहा है. लेकिन दस्तावेज खुद ही बोलते हैं और खबरें (स्टोरी) खुद ब खुद बोलती हैं.’’
द हिंदू ने इन दस्तावेजों पर आधारित कई लेख प्रकाशित किए हैं.
हाल में छपे लेख के मुताबिक़, सात सदस्यीय खरीद दल ने रक्षा मंत्रालय को 21 जुलाई, 2016 को अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश की थी. इस रिपोर्ट में खरीद दल ने बैंक गारंटी की रकम 4580 करोड़ रुपए बताई थी. फ्रांस सरकार द्वारा इस रकम को नहीं देने के चलते मोदी सरकार के कार्यकाल में 23 सितंबर, 2016 को हुए 36 राफेल विमानों की कीमत लगभग 62,700 करोड़ बनी. जो यूपीए के समय तय कीमत से 2000 करोड़ रुपए ज्यादा थी.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली इस पीठ में न्यायमूर्ति एसके कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसफ भी शामिल हैं. यह पीठ राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद को चुनौती देने वाली याचिकायें खारिज करने के शीर्ष न्यायालय के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले पर पुनर्विचार याचिकाओं पर विचार कर रही थी.