पाकिस्तान के पास राफेल की ‘गोपनीय’ जानकारी, फ्रांस के राजदूत ने किया खंडन


Paris: Spies in the military office engaged in monitoring Rafael production?

 

अमेरिका स्थित एविएशन इंडस्ट्री न्यूज वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के तथ्यों का फ्रांस के राजदूत एलेक्जेंडर जिगलर ने खंडन किया है. फरवरी में ainonline.com पर प्रकाशित इस खबर में ये दावा किया गया है कि दसॉ की ओर से भारत को राफेल विमान की आपूर्ति किए जाने से पहले ही पाकिस्तानी पायलट राफेल जेट उड़ाने लगे थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2017 में कतर के लिए राफेल फाइटर जेट में प्रशिक्षण पाने वाले पायलटों में पाकिस्तानी एक्सचेंज ऑफिसर भी शामिल थे.

इन खबरों को फ्रांस के राजदूत एलेक्जेंडर जिगलर ने ‘फेक न्यूज’ करार दिया है. एक ट्वीट में इस संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में जिगलर ने ट्वीट कर कहा, “मैं प्रमाणित करता हूं कि ये झूठी खबर है.”

वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के बाद सोशल मीडिया यूजर्स और तमाम पत्रकारों ने सवाल उठाए कि राफेल से जुड़े जिन तथ्यों को सार्वजनिक करने से भारत सरकार अब तक इनकार करती रही, वह पहले ही सार्वजनिक दायरे में हैं.

कल ही सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे में केंद्र सरकार को झटका देते हुए गोपनीय दस्तावेजों को आधार बनाकर मामले की सुनवाई को मंजूरी दी. शीर्ष कोर्ट ने सरकार के इस तर्क को दरकिनार किया था कि दस्तावेजों के सार्वजनिक होने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होगा.

हालांकि सरकार की ओर से लगातार दिया जा रहा ये तर्क कितना खोखला है, इसका पता अमेरिका स्थित एविएशन इंडस्ट्री न्यूज वेबसाइट ainonline में प्रकाशित एक रिपोर्ट से चलता है.  इस रिपोर्ट की मानें तो जिन तथ्यों के सार्वजनिक होने को सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता रही है, वे पाकिस्तान की वायु सेना को पहले से ही पता हैं.

वहीं राफेल मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र सुप्रीम कोर्ट में दलील देता रहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सौदे की प्राइसिंग और फीचर से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक नहीं की जा सकती हैं.


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