एनसीआरबी रिपोर्ट में लिंचिंग, खाप और धार्मिक हत्याओं के आंकड़े नहीं
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नए आंकड़ों के मुताबिक 2017 में देश भर में संज्ञेय अपराध के 50 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए. इस तरह 2016 में 48 लाख दर्ज प्राथमिकी की तुलना में 2017 में 3.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.
ब्यूरो की ओर से करीब एक साल की देरी के बाद 2017 के लिए वार्षिक अपराध का आंकड़ा जारी किया गया है.
द इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि एनसीआरबी के पूर्व निदेशक ईश कुमार के नेतृत्व में हुई समीक्षा के बाद भीड़ की हिंसा और धार्मिक कारणों से हत्या की श्रेणियों को जोड़ा गया था. हालांकि कल प्रकाशित हुई रिपोर्ट में लिंचिंग, खाप और धार्मिक कारणों से हुई हत्या के आंकड़े शामिल नहीं है.
अधिकारियों ने बताया कि भीड़ की हिंसा में मौत, ताकतवर लोगों द्वारा हत्या, खाप पंचायत के आदेश पर हत्या और धार्मिक कारणों से हुई हत्या के आंकड़े उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण 2017 की एजेंसी की रिपोर्ट में कुछ देरी हुई.
वहीं अखबार को एक करीबी सूत्र ने बताया कि ‘ये चौंकाने वाला है कि इनके आंकड़े नहीं जारी किए गए. आंकड़ों को इक्ट्ठा कर उनका विश्लेष्ण किया जा चुका था. केवल ऊपर बैठे लोग ही बता सकते हैं कि इसे क्यों नहीं जारी किया गया.’
2016 और 2017 की रिपोर्ट में अधिक अंतर नहीं है. 2017 की रिपोर्ट में साइबर क्राइम और राज्य के खिलाफ अपराध में कुछ उप शीर्षक जोड़े गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक 2016 की तुलना में राज्य के खिलाफ अपराधों में 30 फीसदी की वृद्धि हुई है. राष्ट्रद्रोह के सबसे अधिक 19 मामले असम में दर्ज किए गए.
इसी श्रेणी में ‘क्राइम बाई एंटी नेशनल एलिमेंट’ नाम से अलग एक उप श्रेणी को इस बार जगह दी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक वामपंथी उग्रवादियों ने 652, उत्तर पूर्वी विद्रोहियों ने 421 और जिहादी आतंकियों एवं अन्य ने 371 अपराध की घटनाओं को अंजाम दिया.
आंकड़ों के मुताबिक देश भर में वर्ष 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,59,849 मामले दर्ज किए गए. महिलाओं के खिलाफ अपराधों में लगातार तीसरे साल वृद्धि हुई है.
2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3,29,243 मामले दर्ज किए गए थे और 2016 में 3,38,954 मामले दर्ज किए गए थे.
महिलाओं के खिलाफ अपराध के दर्ज मामलों में हत्या, बलात्कार, दहेज हत्या, आत्महत्या के लिए उकसाना, एसिड हमले, महिलाओं के खिलाफ क्रूरता और अपहरण आदि शामिल हैं.
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, अधिकतम मामले उत्तर प्रदेश (56,011) में दर्ज किए गए. उसके बाद महाराष्ट्र में 31,979 मामले दर्ज किए गए.
वर्ष 2017 में हत्या के मामलों में 5.9 प्रतिशत की गिरावट आई. एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में हत्या के 28653 मामले दर्ज किए गए जबकि 2016 में 30450 मामले सामने आए थे.
इसमें कहा गया कि हत्या के अधिकतर मामले में ‘विवाद’ (7898) एक बड़ा कारण था. इसके बाद ‘निजी रंजिश’ या ‘दुश्मनी’ (4660) और ‘फायदे’ (2103) के लिए भी हत्याएं हुईं.
वर्ष 2017 में अपहरण के मामलों में नौ प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गयी। उससे पिछले साल 88008 मामले दर्ज किए गए थे जबकि 2017 में अपहरण के 95893 मामले दर्ज किए गए थे.