रिपोर्ट में खुलासा- 2015 बाघ सर्वेक्षण में हुई दो बार गिनती
मोदी सरकार ने पर्यावरण संरक्षण पर जोर देते हुए 29 जुलाई को बाघ सर्वेक्षण जारी करने के लिए एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार साल में होने वाले बाघ सर्वेक्षण को जारी किया और इस तथ्य पर विशेष प्रकाश डाला कि बीते पांच वर्षों में यानी मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बाघों की संख्या में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई.
2015 सर्वेक्षण रिपोर्ट के मतुाबिक देश में 2,226 बाघ थे, जो 2019 सर्वेक्षण में बढ़कर 2,967 बाघ हो गए.
बाघों की संख्या के सही आकलन के लिए तस्वीर समेत अन्य पैमानों का सहारा लिया जाता है. 2015 में बाघों की कुल संख्या के 73 फीसदी हिस्से की तस्वीर यानी 1,635 बाघों की तस्वीर ली गई. जबकि 2019 में 83 फीसदी यानी 2,462 बाघों की तस्वीर ली गई.
भारत में बेहरतर संरक्षण और निगरानी से बाघों की संख्या निश्चित तौर पर बढ़ी है.
2019 सर्वेक्षण की तस्वीरें फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई हैं. हालांकि द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में 2015 सर्वेक्षण में बाघों की संख्या और तस्वीरों के मिलान से अलग ही कहानी बयान हो रही है.
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रिपोर्ट के मुताबिक 2015 सर्वेक्षण में बाघों की संख्या के आंकड़े 16 फीसदी तक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए. सीधे शब्दों में हर सात में से एक बाघ की दोहरी गणना हुई.
पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय वन्यजीव संस्थान और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण 2006-07 से सरकार के लिए ये सर्वेक्षण कर रहे हैं.
देश के प्रमुख वन्यजीव जैवविज्ञानियों ने सरकारी आंकड़ों का विभिन्न पैमानों पर आकलन करने के बाद निम्नलिखित तथ्य पेश किए हैं:
दोहरी गणना: जैवविज्ञानियों के मुताबिक 51 तस्वीरें इसमें से दो या तीन बार तक गिनी गई हैं. इसका मतलब है कि एक ही बाघ की तस्वीर को दो या कुछ मामलों में तीन बार तक पेश किया गया.
बाघ के बच्चे: बाघों के एक साल से छोटे बच्चों में मृत्यू-दर अधिक होती है. ऐसे में अलग-अलग सरकारी सर्वेक्षणों में 12-18 महीने से छोटे बाघ के बच्चे को शामिल नहीं किया जाता है. अखबार के मुताबिक आंकड़ों में शामिल 46 बाघ के बच्चे 12 महीने से कम उम्र के हैं.
बाघों की धारियों के आधार पर गणना: हर बाघ के पीठ या दोनों बगलों में अगल तरह की धारियां होती हैं, जो उसे अन्य बाघों से अलग बनाती है. बाघों के दाहिने और बाहिने दोनों ओर से तस्वीर ली जाती हैं. इन तस्वीरों की एक दूसरे से तुलना करते हुए बाघों की गणना की जाती है, ताकि एक बाघ को दो बार ना गिना जाए.
गणना के लिए बनाए गए इस नियम के अनुसार चलें तो इसमें से 136 तस्वीरें एक से अधिक बार पेश की गई.
पहचाने नहीं जा सके: बाघ की गणना के लिए जरूरी है कि बाघ के सर, पूंछ और एक या दो तरफ की धारियां तस्वीर में दिखे. नियमानुसार चलें तो करीबन 49 ऐसी तस्वीर हैं (जिसमें केवल मूंछ, पूंछ आदि दिख रहे हैं) जिनसे गणना के लिए पर्याप्त साम्रगी नहीं मिलती है.
2015 में सरकार ने 1,635 बाघों की तस्वीर होने का दावा किया था. नियमानुसार चले तो इसमें से 282 तस्वीरें अप्रमाणित हैं.
ऐसे में सरकारी दावों के उलट 2015 में बाघों की असल संख्या 1,414 होनी चाहिए. इसका अर्थ ये हुआ कि 221 बाघ अधिक गिने गए.