आधार संख्या में गलती होने पर लगेगा 10 हजार रुपये का जुर्माना


govt to impose ten thousand rupees fine on misquoting aadhaar number

 

भारी भरकम लेने देन में परमानेंट अकाउंट नंबर की जगह आधार यूनीक आइडेंटिटी नंबर देने वाले लोगों को अब अधिक सतर्क होने की जरूरत है. सरकार इस संबंध में मौजूदा नियमों में बदलाव करते हुए नया नियम बनाने जा रही है. नए नियम के तहत लेनेदेन में पैन नंबर की जगह अगर व्यक्ति गलत आधार नंबर देता है तो उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.

सरकारी अधिकारियों के हवाले से अखबार लिखता है कि नियमों में संशोधन और विज्ञप्ति आदि जारी करने के बाद यह नियम इस साल एक सिंतबर से लागू होगा.

घर, गाड़ी, विदेश यात्रा या निवेश जैसे अधिक मूल्य के लेन-देन में आधार संख्या गलत लिखने पर जिम्मेदार व्यक्ति से 10 हजार रुपये दंड स्वरूप वसूले जाएंगे. यह नियम दस्तावेज की जांच करने वाले सरकारी अधिकारी या सही आधार संख्या सुनिश्चित करने वाले अधिकारी पर भी लागू होगा. यदि अधिकरी आधार संख्या जांचने में गलती करता है तो उससे भी 10 हजार रुपये दंड स्वरूप वसूले जाएंगे.

एक अधिकारी ने कहा कि दंड वसूलने से पहले जिम्मेदार व्यक्ति को बोलने का मौका दिया जाएगा. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि 5 जुलाई को बजट के दौरान घोषणा करते हुए पैन की जगह आधार संख्या देने की छूट दी गई थी. मौजूदा संशोधन इसी नियम में बदलाव करते हुए किया जाएगा.

वित्त वर्ष 2019-20 के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया था कि देश में 120 करोड़ लोगों के पास आधार कार्ड है. जबकि केवल 22 करोड़ लोगों पास ही पैन कार्ड है.

नागरिक क्रेडिट या डेबिट कार्ड, बैंक अकाउंट खुलवाने के लिए, डीमैट अकाउंट खुलवाने के लिए, होटल या रेस्त्रां में 50 हजार रुपये से अधिक का भुगतान करने के लिए और दो लाख के अधिक की खरीद या बिक्री करने के दौरान आधार संख्या दे सकता है.

आयकर अधिनियम के सेक्शन 272बी में पैन का गलत इस्तेमाल करने कि स्थिति में दंड संबंधी प्रावधान किए गए हैं. सरकार आधार का गलत इस्तेमाल करने की स्थिति में दंड संबंधी प्रावधान करने के लिए संबंधित नियमों पर संशोधन कर सकती है.

हिंदुस्तान टाइम्स लिखता है कि प्रस्तावित संशोधन में दंड का प्रावधान स्पष्ट और कठोर है, जो प्रत्येक उल्लंघन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाता है. जबकि मौजूदा कानून अस्पष्ट है, जो मूल्यांकन अधिकारियों को अपने विवेक अनुसार फैसला करने की छूट देता है.

पीडब्लूसी इंडिया में निजी आयकर के पार्टनर और लीडर कुलदीप कुमार ने बताया कि वित्तीय लेन देन में सरकार की ओर से पैन को आधार से लिंक करने और पैन की जगह आधार नंबर इस्तेमाल करने की छूट देना सराहनीय कदम हैं. ये सरकार को कर वसूलने में मदद करेगा साथ ही गलत और अवैध तरीकों से होने वाली वित्तीय लेनदेन पर भी रोक लगाएगा.

सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) ने अध्यक्ष प्रमोद चंद्रन ने बताया कि आयकर विभाग ने प्रस्ताव रखा है कि केवल आधार संख्या के आधार पर आयकर रिटर्न फाइल करने वालों को नया पैन कार्ड जारी किया जाए, ताकि मौजूदा योजना के तहत पैन और आधार संख्या को जोड़ा जा सके.


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