गुजरात सरकार ने इशरत मामले में मुकदमा चलाने से मना किया: सीबीआई
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने विशेष अदालत में कहा कि गुजरात सरकार ने इशरत जहां और तीन अन्य कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से मना कर दिया है. इन अधिकारियों में डीजी वंजारा और एनके अमीन शामिल हैं.
सीबीआई के विशेष न्यायाधीश जेके पांडया की अदालत में सीबीआई के वकील आरसी कोडेकर की ओर से सौंपे गए एक पत्र को पढ़ने के बाद अदालत ने कहा, “राज्य सरकार ने पूर्व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से मना कर दिया. ये पुलिस अधिकारी इशरत मामले में अपराधिक दंड संहिता की धारा 197 के तहत आरोपी हैं.”
तब बचाव पक्ष के वकील ने दोनों पूर्व पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई वापस लेने के लिए आवेदन दाखिल करने की अनुमति मांगी.
अदालत ने उनका अनुरोध स्वीकार करते हुए उन्हें 26 मार्च को आवेदन दाखिल करने के लिए कहा.
इससे पहले अदालत ने दोनों पूर्व अधिकारियों को बरी करने की मांग करने वाले आवेदन खारिज कर दिया था. तब अदालत ने सीबीआई से इस बारे में रूख स्पष्ट करने को कहा था. यह भी पूछा था कि क्या सीबीआई ने दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राज्य सरकार से अनुमति चाहती है?
इसके बाद सीबीआई ने दोनों पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने का अनुरोध करते हुए राज्य सरकार को पत्र लिखा था.
वंजारा और अमीन उन सात आरोपियों में शामिल हैं जिनके खिलाफ इस मामले में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किए हैं.
वंजारा पूर्व पुलिस उप महानिरीक्षक हैं और अमीन सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक हैं.
मुंबई के पास मुंब्रा की 19 वर्षीय इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर को 15 जून 2004 को अहमदाबाद के बाहरी हिस्से में पुलिस ने एक कथित फर्जी मुठभेड़ में मार दिया था.
गुजरात पुलिस ने तब दावा किया था कि इन चारों के आतंकवादियों से संबंध थे. और ये लोग गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रच रहे थे.