गुजरात: आलू किसानों के खिलाफ पेप्सिको का मुकदमा, डेढ़ करोड़ मुआवजे की मांग


PepsiCo to withdraw case against farmers

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विश्व की बड़ी कंपनियों में शुमार पेप्सिको की ओर से चार गुजराती किसानों के खिलाफ मुकदमा दायर करने के कुछ ही दिनों के भीतर किसान संगठनों ने आंदोलन छेड़ दिया है. किसानों संगठनों का कहना है कि कंपनी ने उनके खिलाफ गलत आरोप लगाए हैं.

पेप्सिको ने गुजरात के चार किसानों के खिलाफ “अधिकारों के उल्लंघन” का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया है. कंपनी ने चारों किसान से डेढ़-डेढ़ करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है.

पेप्सिको का कहना है कि किसानों ने कंपनी के प्रोडक्ट लेज चिप्स में इस्तेमाल होने वाले आलुओं की प्रजाती उगाई, जो कंपनी के अधिकारों का उल्लंघन करता है. इस किस्म को कंपनी ने प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वेरायटीज एंड फार्मर राइट एक्ट 2001 के अंतर्गत पंजीकृत करवा रखा है.

अंग्रेजी अखबार द हिंदू के मुताबिक किसान संगठनों का कहना है कि पंजीकृत किस्मों के ब्रांडेड बीजों को छोड़कर, कानून उन्हें सभी प्रजाति की फसल और बीज उगाने का अधिकार देता है.

इस मामले में अहमदाबाद कोर्ट 26 अप्रैल को सुनवाई करेगा.

किसानों ने पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (पीपीवीएंडएफआरए) से मांग की है कि प्राधिकरण किसानों की ओर से इस केस में जवाब दाखिल करे. साथ ही किसानों की मांग है कि नेशनल जीन फंड से मुकदमे के कानूनी खर्च किए जाएं.

पेप्सिको ने इस मामले में फिलहाल कुछ भी कहने से किनारा कर लिया है. कंपनी का कहना है कि कोर्ट में चल रहे इस मामले में कुछ भी कहना सही नहीं होगा.

वहीं पीपीवीएंडएफआरए की रजिस्ट्रार टीके नागाराथन ने बताया कि प्राधिकरण इस मामले को देख रहा है. “हम कोर्ट के आदेशानुसार आगे की कार्रवाई करेंगे.”

पीपीवीएंडएफआरए को लिखे पत्र में किसानों ने कहा, “जिन किसानों पर आरोप लगाए गए हैं वो छोटे किसान हैं और उनके पास केवल 3 से 4 एकड़ की भूमि है, इन किसानों को पिछले साल स्थानीय स्तर पर फसल से बचाए गए ये बीज मिले थे.”

उन्होंने आरोप लगाया कि पेप्सिको ने निजी जासूसी एजेंसी को इस काम पर लगाया था. उनके मुताबिक “एजेंसी बीज के संभावित खरीदारों पर नजर रखती है. और बाद में किसानों से वजह छुपाते हुए उनके खेतों से सैंपल लेती है और वीडियो भी बनाती हैं.” इसी के आधार पर पेप्सिको ने मुकदमा दायर किया है.

पत्र में कहा गया है कि साल 2018 से अब तक तीन जिलों में इस तरह के मामलों में 18 किसानों पर मुकदमा दर्ज किया गया है.

इससे पहले इस तरह के एक मामले में 9 अप्रैल को हुई सुनवाई के बाद अहमदाबाद कमर्शियल कोर्ट ने किसानों के पक्ष को सुने बिना अंतरिम निर्देश जारी किए. जज ने मामले में कमिश्नर की नियुक्ति करते हुए, पूरी सूची के साथ फसल के सैंपल केंद्रीय लैब में भेजने का आदेश दिया. इस मामले में अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी.

पेप्सिको ने प्रोटेक्शन ऑफ प्लांट वेरायटीज एंड फार्मर राइट एक्ट, 2001 के सेक्शन 64 के तहत अधिकारों के उल्लंघन का मामला दर्ज किया है. वहीं मामले में सामने आए किसान संगठनों ने इसी अधिकार के सेक्शन 39 के तहत अपना बचाव किया है.

एक्ट के सेक्शन 39 में कहा गया है कि ब्रांडेड बीजों को छोड़कर एक्ट किसानों को पंजीकृत बीजों और फसलों को बचाने, दोबारा बुवाई, बांटने और बेचने की छूट देता है.

वहीं किसानों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि इस मामले का सीधा प्रभाव बाकि फसलों और बीजों पर भी होगा, जो किसानों की जीवनी पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. उनका कहना है कि यह एक गलत मिसाल पेश करेगा.


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