हाई कोर्ट ने ‘वंदे मातरम’ को राष्ट्रगान बनाने की याचिका को खारिज किया


 

दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘वंदे मातरम’ को भारत का राष्ट्रीय गान या उसके विकल्प के तौर पर मान्यता देने को लेकर दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है.

यह याचिका एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की थी. उनका कहना था कि ‘वंदे मातरम’ ने आजादी की लड़ाई में ऐतिहासिक किरदार निभाया था. इसलिए इस गीत को भी ‘जन गण मन’ के बराबर की मान्यता मिलनी चाहिए.

चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस सी हरिशंकर की डिविजन बेंच ने कहा कि इस याचिका पर सुनवाई करने की कोई ठोस वजह नहीं है.

जस्टिस उपाध्याय ने केंद्र सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि सरकार दोनों गीतों के प्रचार-प्रसार के लिए एक राष्ट्रीय नीति बनाए.

याचिकाकर्ता ने कहा था कि भारत राज्यों का संघ है. इसलिए ‘जन गण मन’ और ‘वंदे मातरम’ का समान रूप से सम्मान करना हर एक भारतीय का कर्तव्य है.

इसमें दलील दी गई थी, “ऐसा कोई कारण नहीं है कि इससे कोई अन्य भावना पैदा होती हो. क्योंकि दोनों ही संविधान निर्माताओं द्वारा तय किए गए हैं. ‘जन गण मन’ में व्यक्त की गई भावनाओं को राज्य को ध्यान में रखते हुए व्यक्त किया गया है. जबकि ‘वंदे मातरम’ में व्यक्त की गई भावनाएं देश के चरित्र और शैली को बयान करती हैं. यह दोनों गीत बराबर सम्मान के पात्र हैं.”

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया था कि वो केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वो यह सुनिश्चित करे कि ‘जन गण मन’ और ‘वंदे मातरम’ को सभी स्कूलों में हर दिन गाया जाए.

इससे पहले 2017 में मद्रास हाई कोर्ट की एक जज वाली बेंच ने वंदे मातरम गाने को सभी शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी दफ्तरों और प्राइवेट संस्थानों में गाना अनिवार्य कर दिया था. बाद में इस आदेश पर एक अन्य डिविजन बेंच ने रोक लगा दी थी.

‘वंदे मातरम’ बंकिम चंद्र चटर्जी ने लिखा था. और राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था.


Big News