शाह फैसल की याचिका पर उच्च न्यायालय ने केंद्र से मांगा जवाब
दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रशासनिक सेवा छोड़कर राजनीति में आए शाह फैसल की उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस की प्रति मांगी है. वह फिलहाल श्रीनगर में हिरासत में हैं.
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने केंद्र से दो सितंबर तक जवाब देने को कहा है. मामले को फैसल की ओर से उनकी हिरासत के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण (हेबियस कॉर्पस) याचिका के साथ तीन सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया गया है.
फैसल की वकील वारिसा सरासत ने कहा कि वे नहीं जानते कि लुकआउट नोटिस (एलओसी) किस आधार पर जारी किया गया है.
वकील ने कहा कि एलओसी केवल उन्हें यात्रा करने से रोक सकता है, लेकिन यह उनकी गिरफ्तारी और हिरासत को उचित नहीं ठहरा सकता और यह केंद्र की दुर्भावना को दर्शाता है.
पूर्व आईएएस अधिकारी ने अपनी याचिका में दावा किया कि वह उच्च शिक्षा अध्ययन के लिए अमेरिका स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी जा रहे थे, जब उन्हें दिल्ली हवाईअड्डे पर जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था. बाद में उन्हें श्रीनगर ले जाया गया.
वकील ने दलील दी कि एलओसी अधिकारियों को फैसल को गिरफ्तार करने और श्रीनगर वापस ले जाने की अनुमति नहीं देता. जबकि वह बार-बार कहते रहे कि वह वहां नहीं जाना चाहते क्योंकि उनकी पत्नी और बच्चे दिल्ली में ही हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इस तरह से एलओसी के क्रियान्वयन के बारे में कभी नहीं सुना.’’
वकील ने जम्मू कश्मीर सरकार के इस दावे को ‘बेतुका’ बताया कि फैसल ने श्रीनगर हवाईअड्डे पर पहुंचते ही वहां मौजूद लोगों को संबोधित करना शुरू कर दिया.
उन्होंने दलील दी, ‘‘14 अगस्त को वहां कौन होगा? हवाईअड्डा स्वतंत्रता दिवस की वजह से खाली था. इसके अलावा प्रस्थान और आगमन के टर्मिनल अलग और दूर हैं. क्या उच्चतम न्यायालय में संविधान के अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रपति के आदेश को चुनौती देना अपराध है? उनके खिलाफ कोई मामला नहीं है.’’
केंद्र सरकार के स्थाई वकील विकास महाजन ने एलओसी की प्रति मांगने की फैसल की याचिका पर जवाब देने के लिए समय मांगा है.
जम्मू कश्मीर सरकार ने 27 अगस्त को उच्च न्यायालय से कहा था कि फैसल ने श्रीनगर हवाईअड्डे पर मौजूद लोगों को देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ भड़काया है.