गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर दंगों से जुड़ी 13 रिपोर्ट मौजूद नहीं


personnel may increase in union ministries

 

केंद्रीय सूचना आयोग के मुताबिक गृह मंत्रालय के वेबसाइट पर 1961 के बाद देश में हुए दंगों से जुड़ी 13 रिपोर्ट मौजूद नहीं हैं. इस सिलसिले में आयोग ने गृह सचिव को निर्देश दिया है कि 13 जांच आयोग की रिपोर्टों की स्थिति का पता लगाने के लिए एक अधिकारी की तैनाती करें.

वहीं मंत्रालय के अधिकारियों ने सूचना आयोग को दिए जवाब में दावा किया कि उनके पास रिपोर्टें नहीं हैं.

आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज की याचिका पर सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त बिमल जुल्का ने यह निर्देश दिया है. भारद्वाज ने मंत्रालय से सांप्रदायिक दंगों पर विभिन्न जांच आयोग और न्यायिक आयोग की सभी रिपोर्टों पर जानकारी मांगी थी.

सीआईसी ने गृह सचिव राजीव गाबा को निर्देश दिया कि वह उन 13 रिपोर्टों का पता लगाने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी की तैनाती करें और 15 दिन के अंदर विस्तृत रिपोर्ट जमा करें.

भारद्वाज ने कहा कि मंत्रालय ने 2006 में सांप्रदायिक दंगों की जांच करने के लिए नियुक्त विभिन्न न्यायिक और जांच आयोगों की रिपोर्टों का अध्ययन करने के लिए राष्ट्रीय एकता परिषद का एक कार्य समूह गठित किया था जिसमें 29 ऐसे मामलों की जांच की गई थी.

उन्होंने कहा कि उन्हें मंत्रालय की वेबसाइट पर 1961 से 2003 के बीच हुए दंगों से जुड़े 13 जांच या न्यायिक आयोग की रिपोर्टें नहीं मिली जिसकी कॉपी के लिए आरटीआई आवेदन दायर किया था.

भारद्वाज ने अपने आवेदन के जरिए, 1961 के मध्य प्रदेश दंगों पर शिव दयाल श्रीवास्तव आयोग, 1967 के बिहार दंगों पर न्यायमूर्ति रघुबर दयाल आयोग, 1969 के गुजरात दंगों पर न्यायमूर्ति पी जे रेड्डी आयोग, 1974 के दिल्ली दंगों पर प्रसाद आयोग और 1985 के गुजरात दंगों पर न्यायमूर्ति वीएस दवे आयोग की रिपोर्टों मांगी थी.

उन्होंने 1986 के महाराष्ट्र दंगों पर न्यायमूर्ति पीएस मावलंकर आयोग, 1988 के पश्चिम बंगाल दंगों पर न्यायमूर्ति हरिदास दास आयोग, 1990 के आंध्र प्रदेश दंगों पर आरएच हीरामन सिंह की रिपोर्ट और 1990 के राजस्थान दंगों पर न्यायमूर्ति एनएल तिबरवाल आयोग की रिपोर्टें भी मांगी थी.

इसके अलावा उन्होंने 1992 के मध्य प्रदेश दंगों पर न्यायमूर्ति केके दुबे आयोग, 1998 के तमिलनाडु दंगों पर न्यायमूर्ति पीआर गोकुलकृष्णन आयोग, 1999 के महाराष्ट्र दंगों पर न्यायमूर्ति अनंत डी माणे आयोग और 2003 के केरल दंगों पर थॉमस पी जोसेफ आयोग की रिपोर्ट मांगी थी.

सूचना आयुक्त जुल्का ने कहा, ‘‘ 16 रिपोर्ट पहले से ही वेबसाइट पर है, जबकि 13 शेष रिपोर्टों के बारे में अपीलकर्ता ने जानकारी मांगी थी, क्योंकि वे वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं हैं.’’

उन्होंने कहा कि यह तथ्य है कि मंत्रालय ने दंगों पर न्यायिक आयोगों और जांच आयोगों की रिपोर्टों का अध्ययन करने के लिए एक समिति गठित की थी. वहीं सुनवाई के दौरान मंत्रालय ने कहा कि ऐसी कोई रिपोर्ट उनके यहां जमा नहीं हुई हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘ प्रतिवादी (मंत्रालय) ने ना ही सूचना उपलब्ध कराई और ना ही आरटीआई को स्थानांतरित किया. मंत्रालय ने इस पर कोई वाजिब सफाई भी नहीं दिया.’’

सूचना आयुक्त ने कहा कि भारद्वाज के उठाए गए मुद्दा जनहित से जुड़ा है. लिहाजा, मंत्रालय के जन सूचना अधिकारी का यह रवैया ‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’ है.’’


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